Patna highcourt - बिना आय और संपत्ति का आकलन किए स्थायी भरण-पोषण तय करना कानून विरुद्ध, पत्नी को 15 लाख रुपए देने के फैमिली कोर्ट का फैसले पर उठे सवाल

Patna highcourt - पटना हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है। फैमिली कोर्ट ने तलाक के एक मामले में पत्नी को 15 लाख रुपए भरण पोषण देने का आदेश दिया था।

Patna highcourt  -  बिना आय और संपत्ति का आकलन किए स्थायी भर

Patna - पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में परिवार न्यायलय द्वारा बिना आय और संपत्ति का आकलन किए स्थायी भरण-पोषण तय करने की प्रक्रिया को कानून के विरुद्ध ठहराया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भरण-पोषण का निर्धारण सिर्फ अनुमान के आधार पर नहीं किया जा सकता। 

हाईकोर्ट ने विनय कुमार शर्मा द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई करते यह फैसला सुनाया। इसमें फैमिली कोर्ट, भागलपुर द्वारा उनकी पत्नी रूही शर्मा को 15 लाख रुपये का स्थायी भरण-पोषण देने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

कोर्ट ने पाया कि तलाक संबंधी निर्णय कानूनन उचित था, क्योंकि पक्षकारों के बीच 5 वर्षों से अधिक समय से कोई वैवाहिक संबंध नहीं था। रिश्ते में क्रूरता व परित्याग के स्पष्ट प्रमाण मौजूद थे। 

लेकिन भरण-पोषण की राशि तय करते समय न तो पति और न ही पत्नी ने अपनी आर्थिक स्थिति, आय, संपत्ति और दायित्वों की जानकारी अदालत को दी थी।

इसके बावजूद फैमिली कोर्ट, भागलपुर ने 15 लाख रुपये की राशि निर्धारित कर दी। जस्टिस पी. बी. बजंथरी और जस्टिस एस. बी. पी.  सिंह की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय रजनीश बनाम नेहा और अन्य फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आय और संपत्ति का पूर्ण विवरण देना अनिवार्य है,ताकि निष्पक्षता के साथ भरण-पोषण तय हो सके। 

कोर्ट ने उक्त आदेश को भरण-पोषण के हिस्से में दोषपूर्ण मानते हुए केवल इस बिंदु पर मामला वापस पारिवार न्यायालय को वापस भेज दिया।