Bihar News: पटना का महावीर मंदिर आपको देगा 1 लाख रुपए का इनाम, इनको मिलेगा लाभ, जानिए क्या होनी चाहिए योग्यता
Bihar News: महावीर मंदिर 2010 से यह पुरस्कार प्रदान करता रहा है। हालांकि, 2016 के बाद उचित अनुशंसाएं न मिलने के कारण इसे अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। अब मंदिर प्रबंधन ने इसे दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया है।
Bihar News: राजधानी पटना स्थित प्रसिद्ध महावीर मंदिर एक बार फिर समाज में माता-पिता की सेवा की परंपरा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘श्रवण कुमार पुरस्कार’ प्रदान करने जा रहा है। यह सम्मान उन बेटों और बेटियों को दिया जाएगा जो श्रवण कुमार की तरह अपने वृद्ध माता-पिता की निस्वार्थ भाव से देखभाल करते हैं। इस वर्ष पुरस्कार वितरण 29 दिसंबर को आचार्य किशोर कुणाल की पहली पुण्यतिथि पर बापू सभागार में किया जाएगा।
2010 से मिलता आ रहा है सम्मान
महावीर मंदिर 2010 से यह पुरस्कार प्रदान करता रहा है। हालांकि, 2016 के बाद उचित अनुशंसाएं न मिलने के कारण इसे अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। अब मंदिर प्रबंधन ने इसे दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया है। श्री महावीर स्थान न्यास समिति की ओर से हर वर्ष ऐसे लोगों को सम्मानित किया जाता है, जिनकी सेवा समाज के लिए प्रेरणा बने।
आवेदन प्रक्रिया शुरू
न्यास समिति के सदस्य सायण कुणाल ने बताया कि इच्छुक उम्मीदवार डाक, ईमेल या व्हाट्सएप के जरिए आवेदन भेज सकते हैं। आवेदन भेजने की अंतिम तिथि 29 नवंबर तय की गई है। ईमेल mahavirmandir@gmail.com, व्हाट्सएप : 9334468400 और उम्मीदवारों को अनुशंसा पत्र के साथ माता-पिता की सेवा से जुड़े प्रमाण भी जमा करने होंगे।
पुरस्कार राशि और श्रेणियां
इस बार पुरस्कार को भव्य रूप से आयोजित करने की योजना है। प्रथम पुरस्कार - 1,00,000 रुपये, द्वितीय पुरस्कार - 50,000 रुपये और तृतीय पुरस्कार - 25,000 रुपये। इसके अलावा कई सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे। इसी कार्यक्रम में आचार्य किशोर कुणाल सामाजिक सेवा पुरस्कार भी दिया जाएगा, जिसकी राशि भी एक लाख रुपये निर्धारित है।
पांच सदस्यीय कमेटी करेगी चयन
उम्मीदवारों के चयन के लिए पूर्व न्यायाधीश एस.एन. झा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति में बिहार-झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव वी.एस. दुबे, अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. चौधरी, बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद व न्यास समिति के सदस्य सायण कुणाल, तथा मंदिर के पंडित भवनाथ झा शामिल हैं। मंदिर प्रबंधन को उम्मीद है कि यह पहल युवाओं को परिवार और पारंपरिक मूल्यों के प्रति प्रेरित करेगी।