Bihar Politics: 'नवंबर के बाद नहीं रहेंगे नीतीश सीएम, 25 से ज़्यादा सीटें आईं तो छोड़ दूंगा राजनीति' प्रशांत किशोर की सियासी भविष्यवाणी

Bihar Politics:चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सनसनीखेज भविष्यवाणी करते हुए साफ कह दिया है कि एनडीए की सत्ता में वापसी असंभव है। ...

Prashant Kishor s political prediction
प्रशांत किशोर की सियासी भविष्यवाणी- फोटो : social Media

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा देने वाला बयान सामने आया है। जन सुराज  के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सनसनीखेज़ भविष्यवाणी करते हुए साफ कह दिया है कि एनडीए की सत्ता में वापसी असंभव है। इतना ही नहीं, उन्होंने दावा किया कि नवंबर के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे, और यदि जेडी(यू) 25 से अधिक सीटें जीत जाती है, तो वह राजनीति छोड़ देंगे।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को 243 में से 125 सीटें मिलकर मामूली बहुमत हासिल हुआ था। लेकिन इस जीत में भी भाजपा ने बाज़ी मारी थी, जब उसने 74 सीटें जीत लीं, जबकि जेडी(यू) सिर्फ़ 43 सीटों पर सिमट गई थी। इस बार प्रशांत किशोर का कहना है कि एनडीए के अंदरूनी समीकरण और जनता का मूड बता रहा है कि नीतीश युग का अंत करीब है।प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार प्रभाव को भी सिरे से खारिज करते हुए भाजपा को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर भाजपा को अपनी ताकत पर भरोसा है, तो वह सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़े।

उन्होंने कहा कि मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं, सबसे बड़े नेता हैं, सबसे लोकप्रिय भी हैं। कोई इनकार नहीं कर सकता कि वे एक फैक्टर हैं। लेकिन बिहार में उनका असर सीमित है। यहां का मतदाता सिर्फ़ चेहरे से वोट नहीं करता।

किशोर ने भाजपा की हालिया जीतों पर भी चुटकी लेते हुए कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली की जीत को बिहार से जोड़ना बड़ी भूल होगी। महाराष्ट्र में भाजपा पहले से जीतती रही है। हरियाणा में भी ऐसा ही रहा है। लेकिन बिहार में भाजपा कभी अकेले दम पर सरकार नहीं बना पाई। यहां की राजनीति अलग मिजाज की है।

प्रशांत किशोर के यह बोल राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे चुके हैं। क्या सचमुच नीतीश युग का सूर्यास्त निकट है?उन्होंने कहा कि क्या भाजपा अकेले लड़ने की हिम्मत दिखाएगी?या फिर इस बार बिहार की जनता किसी नई राह और नेतृत्व की तलाश में है?