न्यायपालिका की स्वतंत्रता में है संविधान की आत्मा, पटना हाईकोर्ट में संविधान दिवस पर कार्यक्रम में बोले महाधिवक्ता

न्यायपालिका की स्वतंत्रता में है संविधान की आत्मा, पटना हाईक

Patna - पटना हाईकोर्ट परिसर में आज संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर राज्य के महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो बदलते समय के साथ सरकार के तीनों अंग , विधायिका , न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच निरंतर संतुलन और सामंजस्य स्थापित करते रहता है ।

 इस दस्तावेज की   विलक्षणता यह है कि समकालीन वैश्विक थपेड़ों , सूचना क्रांति के दौर में भी आज भी  विविधताओं से भरे हमारे देश को एकता की सूत्र में पिरोए हुए है। इसीलिए भारत में यदि कोई सुप्रीम है ,तो वह एकमेव संविधान है । 

पटना हाईकोर्ट के परिसर में संविधान दिवस के मौके पर बिहार के महाधिवक्ता पी के शाही ने राज्य के सरकारी वकील एवं उनके सहायक अधिवक्ताओं की गोष्ठी को संबोधित करते हुए ये बाते कहीं । 

महाधिवक्ता शाही ने संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि प्रबुद्ध जनों की यह धारणा बिल्कुल गलत है कि भारत का संविधान, दूसरे देशों के विधानों से इकट्ठा किए गए कानूनी प्रावधानों का महज दस्तावेज है । 

उन्होंने कहा कि संविधान सभा के ड्राफ्ट को पढ़ने पर बुद्धिधर्मियों को पता चलेगा कि एक उपनिवेशीय देश जो 200 वर्षों की गुलामी से  आजाद हो रहा था, उस देश को विविधताओं भरी  संस्कृति और उसके सद्भावना की विरासत को भावी पीढ़ियों के लिए जीवंत और निरंतर रखना कितनी बड़ी चुनौती थी । इसीलिए उन्होंने संविधान को निर्माण करने से पहले इसके एक एक शब्द को टॉपिक की तरह विमर्श किया।

 उस पर डिबेट हुआ और तब जाकर हमारा संविधान दीर्घकालीन जीवंत और प्रभावी दस्तावेज के रूप में तैयार हुआ । जाहिर है इतने दुष्कर कार्यों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं ने जब समकालीन यूरोपीय वो अमरीकी देशों के कानून की विवेचना की तो उनमें जो सबसे ज्यादा व्यवहारिक प्रावधान जो भारत की विविधताओं भरी संस्कृति में फिर बैठते थे ।

 हमारे संविधान में समाहित किया । संविधान सभा के अंतरिम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिंहा , एवं सभा के अध्यक्ष डॉ   राजेंद्र प्रसाद जो  बिहार से ही थे, उन्हें प्रणाम करते हुए महाधिवक्ता शाही ने कहा हमें गर्व है कि हम लोग बिहारी हैं , जहां से  महात्मा गांधी ने सत्याग्रह शुरू किया था। 

संविधान लेखन समिति के अध्यक्ष बाबा साहब भीम राव आंबेडकर को उन्होंने नमन करते हुए कहा कि इस संविधान की आत्मा न्यायपालिका की स्वतंत्रता में है ,जो इस दस्तावेज को निरंतर बदलते समय के साथ   , इसके अनुच्छेदों को नए तरीके से परिभाषित करती आ रही है ।

इस गोष्ठी में वरीय अधिवक्ता कृष्ण प्रसाद सिंह , अपार महाधिवक्ता पी के वर्मा , सरकारी वकील सुनील कुमार मंडल सरोज शर्मा ने शिरकत की ।