पटना के गांधी मैदान में बापू की भव्य कांस्य प्रतिमा के रचनाकार प्रख्यात मूर्तिकार रामसुतार का निधन, बिहार से रहा खास नाता

पटना के गांधी मैदान में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भव्य कांस्य प्रतिमा जो 72 फीट ऊंची है, इसके रचनाकार प्रख्यात मूर्तिकार रामसुतार का निधन हो गया

Renowned sculptor Ram Sutar
Renowned sculptor Ram Sutar - फोटो : news4nation

Ram Sutar :  पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भव्य कांस्य प्रतिमा के रचनाकार प्रख्यात मूर्तिकार रामसुतार का निधन हो गया है। उन्होंने 100 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे रामसुतार के निधन से कला और संस्कृति जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्हें आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के सबसे बड़े स्तंभों में गिना जाता था और उनकी कृतियों ने भारत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।

देश की कई प्रतिमाओं की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही। इसमें पटना के गांधी मैदान में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भव्य कांस्य प्रतिमा जो 72 फीट ऊंची है और इसका आधार 24 फीट का है। विश्व की सबसे ऊंची कांस्य गांधी प्रतिमाओं में शामिल इस मूर्ति का अनावरण 15 फरवरी 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। इसी तरह संसद परिसर में ध्यानमग्न मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा, घोड़े पर सवार छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य मूर्ति और गुजरात में बनी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’—सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा के पीछे रामसुतार का कला कौशल ही रहा ।


पटना में बापू की ऐतिहासिक प्रतिमा के मुख्य डिजाइनर रामसुतार स्वयं थे, जबकि उनके पुत्र अनिल सुतार भी इस परियोजना में सहभागी रहे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल और गांधी के विचारों से प्रेरित होकर बनी यह प्रतिमा आज बिहार की पहचान बन चुकी है। गांधी मैदान में स्थापित यह मूर्ति न केवल एक कलाकृति है, बल्कि सत्य, अहिंसा और नैतिक मूल्यों का प्रतीक भी मानी जाती है।


रामसुतार की कला सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। उनकी मूर्तियां देश-विदेश में स्थापित हैं और भारतीय संस्कृति व विरासत का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके निधन से भारतीय कला जगत ने एक ऐसे कलाकार को खो दिया है, जिसकी कृतियां आने वाली पीढ़ियों को लंबे समय तक प्रेरणा देती रहेंगी।


रामसुतार का जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंदुर गांव में हुआ था। उन्होंने मुंबई के प्रतिष्ठित जे.जे. कॉलेज ऑफ आर्ट एंड आर्किटेक्चर से शिक्षा प्राप्त की और वहां से गोल्ड मेडल हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।