Private universities reservation: निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण की होगी पड़ताल, शिक्षा विभाग ने मांगी रिपोर्ट!
Private universities reservation: शिक्षा विभाग ने प्रदेश में संचालित निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण नियमों के पालन की जांच करने का फैसला लिया है।

Private universities reservation: बिहार के शिक्षा विभाग ने प्रदेश में संचालित निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण नियमों के पालन की जांच करने का फैसला लिया है। इसके लिए विभाग ने सभी निजी विश्वविद्यालयों से आरक्षण के पालन संबंधी विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। इस रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि इन संस्थानों में सरकार के आरक्षण नियमों का सही ढंग से क्रियान्वयन हो रहा है या नहीं।
अपनी गतिविधियों की विस्तृत जानकारी देने के लिए प्रत्येक निजी विश्वविद्यालय को शिक्षा विभाग के समक्ष एक प्रेजेंटेशन भी देना होगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने संबंधित निजी विश्वविद्यालयों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए पत्र में निम्नलिखित निजी विश्वविद्यालयों के अध्यक्ष और सचिव शामिल हैं: सामाजिक कल्याण संस्था, संदीप फाउंडेशन, दवे मंगल मेमोरियल ट्रस्ट, अल-करीम एजुकेशनल ट्रस्ट, माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एवं लायंस सेवा केंद्र हॉस्पिटल, ऑल इंडिया सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कंप्यूटर टेक्नोलॉजी, और रितनंद बेल्व्ड एजुकेशन फाउंडेशन।
जारी निर्देशों के अनुसार, शिक्षा विभाग ने निजी विश्वविद्यालयों से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी हैं, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
विश्वविद्यालय के नियम एवं परिनियम का सरकार से अनुमोदन।
नामांकन की प्रक्रिया और आरक्षण नियमों का पालन।
शुल्क में प्रावधान के अनुसार दी जाने वाली छूट का अनुपालन।
फीस संरचना और फीस निर्धारण के लिए गठित समिति।
फीस संरचना से राज्य सरकार को अवगत कराना।
अकादमिक कैलेंडर, परीक्षा कैलेंडर और खेल कैलेंडर का निर्माण एवं समय पर उनका पालन।
विश्वविद्यालय की एक गतिशील और सुरक्षित वेबसाइट।
छात्रों के लिए प्लेसमेंट सेल का गठन और उसकी उपलब्धियां।
विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों का अनुपालन।
एनसीआरएफ, सीबीसीएस और एबीसी-एनएडी आदि को लागू करना।
समर्थ पोर्टल और इसी तरह की अन्य सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी का उपयोग।
ऑडिट और वार्षिक लेखा प्रतिवेदन।
अन्य विशेष शैक्षिक गतिविधियों की जानकारी।
शिक्षा विभाग के इस कदम से निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण नियमों के पालन को लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि विश्वविद्यालय विभाग को अपनी रिपोर्ट कब सौंपते हैं और शिक्षा विभाग की जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं।