bhai virendra Controversy: राजद विधायक भाई वीरेंद्र को समर्थकों से मिला जूता, कहा- 'भ्रष्ट काम करने वाले अधिकारियों को सिखाएंगे सबक'
bhai virendra Controversy: राजद विधायक भाई वीरेंद्र फिर विवादों में, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे जूता भेंट वीडियो के पीछे की कहानी और पंचायत सचिव को दी गई धमकी से उठे राजनीतिक तूफान की पूरी जानकारी पढ़ें।

Bhai virendra Controversy: बिहार के मनेर से राजद विधायक भाई वीरेंद्र एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार किसी आक्रामक भाषण या बयान के लिए नहीं — बल्कि अपने समर्थकों से एक जोड़ी ‘जूता’ उपहार में लेने के लिए।सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में वे समर्थकों से जूता स्वीकार करते हुए मुस्कुराते दिखाई दे रहे हैं। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आप जूता क्यों ले रहे हैं, तो उन्होंने कहा ति अब जनता कह रही है कि आप जूता लीजिए और इन भ्रष्ट और काम नहीं करने वाले अधिकारियों को सबक सिखाइए।यह बयान जहां एक ओर अधिकारियों के प्रति नाराजगी दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर जनता के बढ़ते राजनीतिक असंतोष की भी गवाही देता है।
धमकी ऑडियो से शुरू हुआ विवाद
इस हालिया वायरल वीडियो से पहले भी भाई वीरेंद्र एक बड़े विवाद में फंसे हुए थे। एक ऑडियो क्लिप में वे पंचायत सचिव संदीप कुमार को कॉल पर गाली-गलौज और धमकी देते सुने गए। उन्होंने गुस्से में सचिव से कहा कि तुमने प्रणाम क्यों नहीं किया? मुझे पूरा हिंदुस्तान जानता है, तुम नहीं जानते?”ऑडियो में उन्होंने यह भी कहा कि “जूता मार देंगे तुम्हें”, और यह बात खुले तौर पर स्वीकार करते हुए कहा कि “रिकॉर्ड करना है तो रिकॉर्ड करो।” यह अहंकारपूर्ण और अपमानजनक लहजा सोशल मीडिया पर बुरी तरह ट्रोल हुआ और राजद की छवि को नुकसान हुआ।
एफआईआर और कानूनी कार्रवाई
ऑडियो वायरल होते ही पंचायत सचिव एससी/एसटी थाने में विधायक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। यह घटना चुनावी साल में होने के कारण राजनीतिक रूप से और भी संवेदनशील मुद्दा बन गई।इस केस ने न केवल भाई वीरेंद्र के व्यवहार पर सवाल खड़े किए, बल्कि इसने दिखाया कि जनप्रतिनिधियों की ओर से प्रशासनिक अधिकारियों के साथ असम्मानजनक व्यवहार किस हद तक जा सकता है।
चुनावी नुकसान और विपक्षी हमले
चुनावी मौसम में जब पार्टियां जनता से जुड़ने और सहानुभूति पाने की कोशिश कर रही हैं, ऐसे में राजद विधायक का यह व्यवहार पार्टी के लिए राजनीतिक नुकसान का कारण बन सकता है।विपक्षी पार्टियों ने इस प्रकरण को जोरशोर से उठाते हुए कहा कि जो विधायक अधिकारियों से गाली-गलौज करते हैं, वे जनता से क्या सम्मान की उम्मीद कर सकते हैं?”
भाई वीरेंद्र की सफाई जुबान फिसल गई थी
बढ़ते विवाद को देखते हुए भाई वीरेंद्र ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी “जुबान फिसल गई थी”, लेकिन उन्होंने यह भी दोहराया कि सचिव का व्यवहार अनुचित था।उन्होंने यह भी जोड़ा कि मैं आम आदमी के अधिकार के लिए लड़ता हूं, और जब कोई अधिकारी गलत करता है तो उसका विरोध जरूरी है। हालांकि, उनकी इस सफाई से विवाद शांत नहीं हुआ। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नेता की भाषा और आचरण उसे ही नहीं, पार्टी की साख को भी दर्शाता है।