मनरेगा खत्म के खिलाफ आरजेडी सांसद मनोज झा का सभी सांसदों को खुला पत्र, लालू यादव के MP का पीएम मोदी पर बड़ा हमला

मनरेगा का नाम बदलने और इसके नियम में बदलाव करने के केंद्र सरकार के निर्णय के लिए खिलाफ राजद सांसद मनोज झा ने देश के सभी सांसदों के नाम एक खुला पत्र लिखा है.

RJD MP Manoj Jha
RJD MP Manoj Jha- फोटो : news4nation

Manoj Jha : लालू यादव की पार्टी राजद  के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मनरेगा को समाप्त कर उसकी जगह विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 यानी जी राम जी के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। इस मुद्दे पर उन्होंने संसद के सभी सदस्यों को एक खुला पत्र लिखते हुए अपील की है कि वे इस बिल का विरोध करें और गरीबों व मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करें।


अपने पत्र की शुरुआत मनोज झा ने महात्मा गांधी के ‘ताबीज’ का उल्लेख करते हुए की। उन्होंने लिखा कि गांधीजी ने सार्वजनिक जीवन में कोई भी निर्णय लेने से पहले सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति के बारे में सोचने की सीख दी थी। यही कसौटी आज भी हमारे फैसलों का मार्गदर्शन करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए वे सांसदों से अपील कर रहे हैं।


मनोज झा ने बताया कि 15 दिसंबर को सरकार ने लोकसभा में मनरेगा को खत्म कर नया बिल लाने का प्रस्ताव पेश किया, जिस पर देर रात तक चर्चा हुई। उन्होंने राज्यसभा में इस कदम का विरोध करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह अपील किसी एक राजनीतिक दल के पक्ष में नहीं है। मनरेगा 2005 में सभी प्रमुख दलों के समर्थन से लागू हुआ था और यह सम्मान के साथ काम करने के अधिकार को कानूनी गारंटी देता है, जो संविधान के अनुच्छेद 41 की भावना के अनुरूप है।


उन्होंने आरोप लगाया कि प्रस्तावित नया बिल इस कानूनी गारंटी को खत्म कर देता है। सरकार के 125 दिनों के रोजगार देने के दावे को उन्होंने भ्रामक बताया। उनका कहना है कि मनरेगा मांग-आधारित योजना थी, जबकि नया फ्रेमवर्क रोजगार को केंद्र सरकार के फंड और प्रशासनिक फैसलों पर निर्भर बनाता है। साथ ही इसका दायरा भी सीमित कर दिया गया है, जिससे कई जरूरतमंद बाहर हो सकते हैं।


मनोज झा ने यह भी कहा कि मनरेगा में जो कमियां हैं, वे कानून की नहीं बल्कि उसके क्रियान्वयन की वजह से हैं। पिछले दो दशकों में इस योजना ने संकट के समय गरीबों को सहारा दिया है, महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बढ़ाई है और काम को अधिकार के रूप में स्थापित किया है। उनके मुताबिक, इसे खत्म करने के बजाय मजबूत किया जाना चाहिए था।


अंत में आरजेडी सांसद ने सभी सांसदों से लोकतांत्रिक सहमति और नैतिक जिम्मेदारी के साथ इस कानून की रक्षा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि देश के सबसे गरीब नागरिक संसद के फैसलों की ओर देख रहे हैं और यह जरूरी है कि हर हाथ को काम और हर मजदूर को सम्मान मिले।