Bihar Budget: बिहार विधानमंडल में पेश किए गए बजट को लेकर राजद सुप्रीमो लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने मंगलवार को नीतीश सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि 3.17 लाख करोड़ के आंकड़ों की बाजीगरी वाले बजट को प्रस्तुत कर खुद अपनी पीठ धपधपाने में मशगूल नीतीम्य सरकार को ये समझना होगा कि आर्थिक विकास के साथ मानव विकास और मानव विकास की सुम्यहाती के सूचकों का सतत मूल्यांकन किए जाने वाली आर्थिक नीति व् व्यवस्था आज बिहार की सबसे बड़ी जरूरत है..
उन्होंने कहा, फेल डबल-इंजन वाली सरकार को शायद ये भान नहीं है कि बिहार के सन्दर्भ में बहुप्रचारित विकास का जुमता नहीं चलने वाला यदि लोगों को हक के रूप में बुनियादी सेवाएं नहीं मिलीं, गैर-बराबरी की खाई कम नहीं हुई और श्रम-शक्ति का पलायन नहीं रुका तो नीतीश कुमार जी यक्ष प्रश्न ये है कि बीमार स्टेट बन चुके बिहार के इतने बड़े साइज के प्रस्तावित बजट के लिए पैसा कहाँ से आएगा? बदहाल जनता की जेब से दोहन के माध्यम से? जिस प्रदेश से पिछले उन्नीस सालों से श्रम शक्ति का पलायन अनवरत जारी है, जिस प्रदेश के बेरोजगारी के आँकड़े भयावह है, जिस प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे कम (मात्र 183/- रूपए प्रति दिन) है, जिस प्रदेश में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का अस्तित्व ही नहीं है, जिस प्रदेश में देश भर में फैले उद्योगों का महज 1.3% (फीसदी / प्रतिशत) उद्योग मोजूद है, जहाँ कृषि आधारित अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, वहाँ राजस्व का स्रोत क्या होगा? क्या पहले से कर्ज में डूबे बिहार पर और कर्ज का बोझ लादा जाएगा?
रोजगार सृजन की चर्चा तक नहीं
उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर आगे लिखा है, नीतीश कुमार जी.. आपकी सरकार के द्वारा प्रस्तुत बजट का सबसे निराशाजनक पहलू तो ये है कि देश की सबसे बड़ी युवा आबादी बिहार में रहती है, बावजूद इसके प्रदेश के बजट में युवा आबादी के लिए रोजगार सृजन की चर्चा तक नहीं है आपकी ही सरकार ने 34 लाख नौकरी और रोजगार देने की घोषणा की है, मगर बजट इस अहम् मुद्दे पर मौन है। इसका मतलब साफ़ है कि 34 तास रोजगार देने के लिए बजटीय प्रावधान नहीं किया गया है और रोजगार देने की बात महज जुमला है-
गरीबों की अनदेखी
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जी प्रस्तुत बजट में गरीबों की सीधे तौर पर उपेक्षा की गयी है, आपकी सरकार ने ही 94 लाख गरीबों को 2 लाख रूपए देने की घोषणा की थी, मगर प्रस्तुत बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है.. ऐसी ही अनदेखी / उपेक्षा बुजुर्गों के साथ की गयी है, बुजुर्गों को मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि (रूपए 400/-) में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी है.