Security lapse of CM Nitish Kumar: सीएम नीतीश कुमार की सुरक्षा में चूक, काफिले में पकड़ाया फर्जी एंटी करप्शन अफसर, अधिकारियों के हाथ-पांव फूले, पूछताछ में पुलिस भी हैरान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले ने एक फर्जी एंटी करप्शन पदाधिकारी को रंगे हाथ पकड़ लिया। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत संदिग्ध वाहन को घेर लिया।...

Security lapse of CM Nitish Kumar: वैशाली ज़िले में शुक्रवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले ने एक फर्जी एंटी करप्शन पदाधिकारी को रंगे हाथ पकड़ लिया। घटना एनएच-22 पर स्थित पटेढ़ा सराय टोल प्लाज़ा की है, जहां वीआईपी लेन में सफेद स्कॉर्पियो टोल टैक्स को लेकर हंगामा कर रही थी। मामला इतना तेज़ हुआ कि सीएम का काफिला वहां पहुंच गया और सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत संदिग्ध वाहन को घेर लिया।
कार्यक्रम पदाधिकारी सिद्धार्थ शंकर सिन्हा ने इस मामले में सराय थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। प्राथमिकी के अनुसार, सीएम पुनौरा धाम, सीतामढ़ी से पटना लौट रहे थे। इसी दौरान टोल प्लाज़ा पर खड़ी स्कॉर्पियो (BR 01PJ 4039) टोल कर्मियों से बहस कर रही थी और टोल देने से इंकार कर रही थी। तभी पीछे से सीएम का काफिला आ गया और वीवीआईपी सुरक्षा कर्मियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गाड़ी को रोक लिया।
जांच के दौरान पुलिस भी दंग रह गई। स्कॉर्पियो के शीशे पर पुलिस का लोगो और बड़े-बड़े अक्षरों में ‘एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ लिखा हुआ था। गाड़ी के आगे बोर्ड पर लिखा था “एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया, डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टर (पटना) बिहार, अंडर आईटीए एंड नीति आयोग (भारत सरकार)”, जबकि पीछे मोटे अक्षरों में ‘भारत सरकार’ अंकित था।
छानबीन में पता चला कि चालक ने अपना नाम दीपक प्रसाद, पिता किशोर प्रसाद, निवासी छोटी खगौल, थाना खगौल, पटना बताया। उसने दावा किया कि वह एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया का सदस्य है, लेकिन इस दावे के समर्थन में कोई संतोषजनक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका। गाड़ी और उस पर लगे सभी सरकारी प्रतीक जाली पाए गए।
पुलिस का मानना है कि दीपक प्रसाद ने पुलिस लोगो और सरकारी पहचान के फर्जी इस्तेमाल के जरिए लोगों को गुमराह करने और वीआईपी सुविधाएं हासिल करने की कोशिश की थी। उसे और उसकी स्कॉर्पियो को आगे की कार्रवाई के लिए सराय थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
थानाध्यक्ष मणिभूषण ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच-पड़ताल जारी है। यह घटना सीधा संदेश देती है कि अब फर्जी पहचान और सरकारी ठप्पों के सहारे कानून से बचना आसान नहीं है, खासकर तब जब सीएम का काफिला सामने आ जाए।