बिहार विधानसभा चुनाव की वोटिंग खत्म होते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. शकील अहमद ने पार्टी से दिया इस्तीफा, चुनाव प्रचार से भी रहे दूर

बिहार विधानसभा चुनाव की वोटिंग खत्म होते  ही कांग्रेस के वरि

Patna - वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने त्यागपत्र में पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों पर अटूट विश्वास जताते हुए भी, मौजूदा परिस्थितियों के कारण यह निर्णय लेने की बात कही है। उनका इस्तीफा 11 नवंबर, 2025 को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा गया है।

डॉ. शकील अहमद ने अपने इस्तीफे के पीछे एक भावनात्मक कारण भी बताया है। उन्होंने उल्लेख किया कि 1981 में उनके पिता के स्वर्गवास के बाद से ही वह सक्रिय राजनीति में हैं और 1985 के बाद से पाँच बार विधायक और सांसद चुने जा चुके हैं। एक अन्य पत्र (10 नवंबर, 2025) में, उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को अपने परिवार की राजनीतिक विरासत की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनके दादा स्व. अहमद गफूर 1937 में कांग्रेस के विधायक थे, और उनके पिता शकुर अहमद 1952 से 1977 के बीच पाँच बार कांग्रेस के टिकट पर चुने गए। उनका कहना है कि इस लंबे पारिवारिक जुड़ाव के बावजूद, उन्हें दुख के साथ यह कदम उठाना पड़ रहा है।

बेटों की राजनीति में रूचि नहीं

इस्तीफे के समय को लेकर भी डॉ. शकील अहमद ने स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी की सदस्यता त्यागने का फैसला मतदान से पहले ही कर लिया था, लेकिन इसकी घोषणा मतदान समाप्त होने के बाद कर रहे हैं। उनके अनुसार, वह नहीं चाहते थे कि मतदान से पहले कोई गलत संदेश जाए और उनकी वजह से पार्टी को वोट का नुकसान हो। यह कदम उस समय आया है जब हाल ही में उन्होंने घोषणा की थी कि वह भविष्य में कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि उनके तीनों पुत्र कनाडा में रहते हैं और उनमें से किसी की भी राजनीति में शामिल होने में कोई रुचि नहीं है।

चुनाव प्रचार भी नहीं किया

इस्तीफे के कारणों को विस्तार से बताते हुए डॉ. शकील अहमद ने अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के भीतर की स्थिति पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने पत्र में लिखा है कि उन्हें "पार्टी की सत्ता में बैठे कुछ व्यक्तियों" से शिकायत हो सकती है, मगर पार्टी की "नीतियों और सिद्धांतों पर मुझे अटूट विश्वास है।" उन्होंने यह भी कहा कि वह अस्वस्थ रहने के कारण प्रचार नहीं कर सके, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस की सीटें बढ़ेंगी और गठबंधन एक मजबूत सरकार बनाएगा। इस कथन से स्पष्ट होता है कि व्यक्तिगत मतभेद उनके इस्तीफे का मुख्य कारण प्रतीत होता है।

डॉ. शकील अहमद ने अपने एक पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि पार्टी की सदस्यता से अलग होने का यह मतलब नहीं है कि वह किसी दूसरी पार्टी या दल में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने यह दोहराया है कि उन्हें अपने पूर्वजों की तरह कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों में अटूट विश्वास है और वह जीवन भर कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों का शुभचिंतक और समर्थक बना रहेंगे। उन्होंने कहा कि उनका जीवन का अंतिम वोट भी कांग्रेस के पक्ष में ही गिरेगा। यह इस्तीफा बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष के रूप में उनकी पहचान को देखते हुए, कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।