Bihar Politics: 6 बार के विधायक ने छोड़ा कांग्रेस का साथ, दलित वोटों पर लगाएंगे नीतीश का तीर

Bihar Politics: कांग्रेस कोटे से 6 बार विधायक रह चुके नेता ने अब पार्टी ने नाता तोड़ लिया है। पूर्व विधायक ने जदयू का दामन थाम लिया है। जदयू कार्यालय में आज उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

जदयू
कांग्रेस को बड़ा झटका - फोटो : reporter

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही दिन शेष है। चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस कोटे से 6 बार विधायक रह चुके वरिष्ठ नेता ने अब साथ छोड़ दिया है। वरिष्ठ नेता ने जदयू का दामन थाम लिया है। ये नेता कोई और नहीं बल्कि डॉ. अशोक राम हैं। अशोक राम ने पार्टी कार्यालय में जदयू का दामन थामा। जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और मंत्री विजय चौधरी ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। 

कई नेता छोड़ सकते हैं साथ 

पार्टी में शामिल होने के बाद पूर्व विधायक अशोक राम ने कहा कि कांग्रेस राजद की बी टीम बन गई है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस में दलितों का सम्मान नहीं है, राजेश राम प्रदेश अध्यक्ष तो हैं लेकिन उन्हें पावर नहीं दिया गया है। पूर्व विधायक ने दावा किया कि कांग्रेस के कई लोग जदयू में शामिल हो सकते हैं। इस दौरान संजय झा ने भी दावा किया कि महागठबंधन के कई नेता जो कांग्रेस और राजद में शामिल हैं वो जदयू से संपर्क में है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने दलितों को सम्मान दिया है, विपक्ष के लोग सम्मान नहीं देते हैं।

कौन हैं डॉ. अशोक राम?

डॉ. अशोक राम बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं में शामिल हैं। वर्तमान में वह बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। वे अब तक छह बार विधायक रह चुके हैं और कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य भी रह चुके हैं। पूर्व में वे राज्य सरकार में मंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। विशेष रूप से, वे कांग्रेस में दलित समुदाय की मजबूत आवाज माने जाते थे।

कांग्रेस नेतृत्व से नाराजगी बनी वजह

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, डॉ. अशोक राम पार्टी नेतृत्व से काफी समय से नाराज चल रहे थे। जब से कृष्णा अल्लावरू को बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया, अशोक राम खुद को पार्टी में हाशिये पर महसूस करने लगे थे। उनकी वरिष्ठता के बावजूद उन्हें महत्वपूर्ण निर्णयों और बैठकों से दूर रखा जाने लगा।

प्रदेश अध्यक्ष से भी नाराजगी 

पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उसी जातीय समुदाय से आने वाले राजेश राम को नियुक्त किया, जिससे अशोक राम की असहजता और बढ़ गई। यह निर्णय उनके आत्मसम्मान और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर चोट करता नजर आया। ऐसे में उन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य के लिए नया विकल्प तलाशना शुरू किया, और अब उन्हें जदयू में संभावनाएं दिख रही हैं। डॉ. अशोक राम की जदयू में एंट्री को पार्टी के लिए सामाजिक समीकरणों में मजबूती के तौर पर देखा जा रहा है। दलित समुदाय में उनकी पकड़ और लोकप्रियता का फायदा नीतीश कुमार की पार्टी को आगामी चुनावों में मिल सकता है।

पटना से वंदना की रिपोर्ट