Bihar News : श्री श्री 1008 श्री शिवशक्ति महायज्ञ का हुआ समापन, दीदी दिव्यांशी ने की श्रीराम कथा के प्रभाव से लेकर भक्ति की चर्चा

Bihar News : पालीगंज के बीबीपुर में चल रहे श्री श्री 1008 श्री शिवशक्ति महायज्ञ का समापन हो गया. इस मौके पर दीदी दिव्यांशी ने श्रीराम कथा के प्रभाव से लेकर भक्ति की चर्चा की....पढ़िए आगे

Bihar News : श्री श्री 1008 श्री शिवशक्ति महायज्ञ का हुआ समा
महायज्ञ का समापन- फोटो : social media

PATNA : कथा चाहे कोई भी हो, श्री राम कथा, श्रीमद्भागवत कथा या श्री देवी भागवत, सभी कथाएं हमें सच्चाई की राह पर चलने की सीख देते हैं। बच्चों को भी कथा में लाना चाहिए। उन्हें कथा का महत्व महत्व बताना चाहिए। श्री राम कथा से बच्चों में संस्कार आता है। कथा सुनकर जिसने उसके सार तत्वों को ह्दय में बसा लिया और उसे आचरण में अपना लिया, तो उसका बेड़ा पार हो जाएगा। पालीगंज के बीबीपुर में चल रहे श्री श्री 1008 श्री शिवशक्ति महायज्ञ के समापन दिवस पर वृंदावन से पधारीं दीदी दिव्यांशी ने श्रीराम कथा में कथा के प्रभाव से लेकर भक्ति की चर्चा की। सीताहरण से लेकर लंका विजय तक के प्रसंग सुनाया। 

कथा में नवधा भक्ति की चर्चा की

कथा के दौरान दिव्यांशी जी ने नवधा भक्ति यानी नौ प्रकार की भक्ति बताई। कहा कि भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण व्यक्त करने के नौ अलग-अलग तरीके हैं। यही नवधा भक्ति है। ये तरीके हैं- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन। श्रवण- भगवान की कथाओं और गुणों को सुनना, कीर्तन- भगवान के नाम का जप करना, स्मरण- भगवान को निरंतर याद करना या उनके रूप का ध्यान करना, पादसेवन- भगवान के चरणों की सेवा करना, अर्चन- भगवान की मूर्ति या चित्र की पूजा करना, वंदन- भगवान को प्रणाम करना, उनके प्रति हमेशा रखना, दास्य- भगवान का दास बनकर उनकी सेवा करना, सख्य- भगवान के साथ मित्रता का भाव रखना और आत्मनिवेदन: खुद को पूरी तरह से भगवान को समर्पित कर देना। इन नौ प्रकार की भक्ति का नियमित अभ्यास करने से भक्त भगवान के करीब आ सकता है और उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है। 

लक्ष्मण रेखा लांघने में खतरा है

सरस कथा प्रवक्ता दिव्यांशी जी ने सीता हरण प्रसंग में लक्ष्मण रेखा का उदाहरण देकर आज की युवतियों को सावधान किया कि अपने दायरे में रहें। लव जिहाद और हाल के दिनों में महिलाओं के साथ हुई घटनाओं का जिक्र किया। कहा कि जीवन में लक्ष्मण रेखा जरूरी है। लक्ष्मण रेखा लांघने में खतरा है। जीवन को सरल बनाएं। सरल का फुल फॉर्म बताया स से सीता, र से राम और ल से लक्ष्मण। सीताराम कहिए। कथा के बाद यज्ञकर्ता दिगंबर झा, कथा वाचिका दीदी दिव्यांशी जी, मुख्य यजमान ज्ञांति देवी और साधु-संतों के साथ आयोजन समिति सदस्यों को समासेविका पिंकी प्रियदर्शनी सिंह व आलोक सिंह ने अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। 

ये रहे मौजूद

इस मौके पर आयोजन समिति के बहादुर सिंह, निशांत कुमार टुटू, शिवशंकर, दीपक कुमार, विजय कुमार, नवीन, प्रवीण, मनोरंजन कुमार आदि सक्रिय रहे। वहीं विश्राम दिवस पर यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने और महाभंडारा में प्रसाद पाने श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस मौके पर पूर्व प्रखंड प्रमुख मीना देवी भी सक्रिय रहीं।