Bihar Politics : सुशासन की सरकार में अब तक 6 मंत्रियों ने दिया इस्तीफा, तीन पर ‘पीके’ ने लगाये गंभीर आरोप, नीतीश की चुप्पी के क्या हैं मायने....

Bihar Politics : सुशासन की सरकार में अब तक 6 मंत्रियों ने दि

PATNA : बिहार की राजनीति में 'सुशासन बाबू' के नाम से पहचाने जाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर कई उतार-चढ़ावों और कठोर निर्णयों से भरा रहा है। अपने लगभग दो दशकों के मुख्यमंत्रित्व काल में, नीतीश कुमार ने कई बार भ्रष्टाचार या विवादों में घिरे मंत्रियों पर कार्रवाई करने से गुरेज नहीं किया है। उन्होंने अपनी सरकार की छवि को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए कम से कम छह मंत्रियों से इस्तीफा लिया है। यह दर्शाता है कि नीतीश कुमार अपनी सरकार में पारदर्शिता और ईमानदारी के प्रति कितने प्रतिबद्ध रहे हैं, भले ही इसके लिए उन्हें अपने ही दल या सहयोगी दलों के नेताओं पर कार्रवाई करनी पड़ी हो।

नीतीश कुमार ने पिछले 20 सालों में इस्तीफा लिया है

जीतन राम मांझी (तत्कालीन कल्याण मंत्री): साल 2005 में, नीतीश कुमार के पहले कार्यकाल के दौरान, जीतन राम मांझी पर एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला घोटाले का आरोप लगा था। मुख्यमंत्री ने बिना देर किए उनसे इस्तीफा ले लिया था। हालांकि, बाद में मांझी को क्लीन चिट मिल गई थी और वे नीतीश कुमार के विश्वासपात्र बने रहे, यहां तक कि एक समय में मुख्यमंत्री भी बनाए गए। रामानंद सिंह (तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री): साल 2008 में, रामानंद सिंह पर सरकारी भूमि के एक मामले में आरोप लगे थे। नीतीश कुमार ने जांच का आदेश दिया और शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर उनसे इस्तीफा मांग लिया। अवधेश कुशवाहा (तत्कालीन उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री): साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, अवधेश कुशवाहा एक स्टिंग ऑपरेशन में रिश्वत लेते हुए पकड़े गए थे। नीतीश कुमार ने तत्काल प्रभाव से उनसे इस्तीफा ले लिया, जिससे चुनाव से पहले सरकार की छवि पर कोई आंच न आए। 

इनसे भी लिया इस्तीफा

मंजू वर्मा (तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री): साल 2018 में, मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के बाद मंजू वर्मा का नाम सुर्खियों में आया था। उनके पति पर कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से संबंध होने के आरोप लगे थे। भारी राजनीतिक दबाव और मामले की गंभीरता को देखते हुए नीतीश कुमार ने मंजू वर्मा से इस्तीफा ले लिया था। मेवालाल चौधरी (तत्कालीन शिक्षा मंत्री): साल 2020 में, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार बनने के कुछ ही दिनों बाद, मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाया गया था। हालांकि, उन पर भ्रष्टाचार के पुराने आरोप (सहायक प्रोफेसरों की भर्ती में अनियमितता) फिर से सामने आ गए। विपक्ष के चौतरफा हमले और अपनी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी छवि को बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार ने शपथ लेने के महज कुछ घंटों बाद ही मेवालाल चौधरी से इस्तीफा ले लिया था। कार्तिक कुमार (तत्कालीन कानून मंत्री): साल 2022 में, महागठबंधन सरकार बनने के बाद कार्तिक कुमार को कानून मंत्री बनाया गया था। उन पर अपहरण के एक पुराने मामले में वारंट जारी होने के बावजूद शपथ लेने का आरोप लगा। विवाद बढ़ने पर नीतीश कुमार ने उनसे विभाग बदल दिया, लेकिन विपक्ष का दबाव कम नहीं हुआ। अंततः, कार्तिक कुमार को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

चुप्पी के मायने

इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि नीतीश कुमार अपनी सरकार में दागदार छवि वाले मंत्रियों को बर्दाश्त नहीं करते हैं। उनकी यह कार्यशैली उन्हें बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान दिलाती है, जहां वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कठोर नीति को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं। हालाँकि जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार के तीन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये हैं। जिसके बाद न ही जदयू, न भाजपा और न ही सीएम नीतीश की ओर से कोई बयान दिया गया है।