Sonpur mela 2025: सोनपुर मेला 2025 अंतिम पड़ाव पर! घोड़ों की घटती संख्या, पशु बाजार की चहल-पहल और पुलिस कार्रवाई की बड़ी खबर

Sonpur mela 2025: सोनपुर मेला 2025 अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। घोड़ा बाजार में केवल 50 घोड़े शेष रहे जबकि हजारों की बिक्री हो चुकी है। सात पुलिस अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई भी हुई।

Sonpur mela 2025
सोनपुर मेला 2025- फोटो : social media

Sonpur mela 2025: हरिहर क्षेत्र में लगने वाला विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला इस बार अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है और अब मेले का माहौल धीरे-धीरे समापन की ओर बढ़ रहा है। पशुपालन विभाग, सारण द्वारा जारी प्रतिवेदन बताता है कि इस बार घोड़ा बाजार ने शुरूआती दिनों में काफी भीड़ और उत्साह देखा, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। मेले में अब बिक्री के लिए केवल 50 घोड़े बचे हैं, जबकि कुल 2049 घोड़ों की खरीदारी पूरी हो चुकी है। यह संख्या दर्शाती है कि सोनपुर मेला अभी भी घोड़ों की खरीद-बिक्री के लिए देश का सबसे बड़ा और भरोसेमंद मंच है।

घोड़ों की कीमतों में इस वर्ष काफी स्थिरता देखने को मिली। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सबसे महंगे घोड़े की कीमत 1.10 लाख रुपये तक गई, जबकि कुछ घोड़े 52,000 रुपये तक में बिके। यह मूल्य सीमा बताती है कि मेले में हर श्रेणी के खरीदार के लिए विकल्प मौजूद थे। कुछ लोग शो-हॉर्स के लिए आए थे तो कुछ खेती, ढुलाई और ग्रामीण उपयोग के लिए घोड़े तलाश रहे थे।

जैसे-जैसे मेला समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, घोड़ा व्यापारियों की आवाजाही कम होने लगी है। शुरुआत में आए विशाल झुंड अब बिखर चुके हैं और खाली पड़े टांड़ों तथा खुले मैदानों से यह साफ झलकता है कि मेला अपनी चिर-परिचित हलचल को पीछे छोड़ रहा है। फिर भी मेले में देर तक रुकने वाले व्यापारी बताते हैं कि इस वर्ष व्यापार सामान्य से बेहतर रहा और खरीदारों की संख्या भी पहले से अधिक रही।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सोनपुर मेला केवल पशु बाजार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परंपराओं, लोक जीवन और सामाजिक मेलजोल का अनोखा संगम है। इसलिए भले ही घोड़ा बाजार अब खाली हो रहा है, लेकिन मेले की आत्मा—लोगों का उत्साह—अभी भी जीवित है।

बकरी कुत्ता और गाय-भैंस बाजार में भीड़

जहां घोड़ों की संख्या घट रही है, वहीं अन्य पशु बाजारों में रौनक बरकरार है। बकरी बाजार इन दिनों सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रतिवेदन के मुताबिक, मेले में इस समय 540 बकरी और भेड़ मौजूद हैं, जिनमें से 256 की बिक्री पहले ही हो चुकी है। ग्रामीण और कस्बाई खरीदारों के लिए बकरी बाजार हमेशा से आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है। कई व्यापारी बताते हैं कि दिवाली, छठ और शादी के मौसम में बकरियों की मांग बढ़ जाती है, इसलिए सोनपुर मेला उनके लिए कमाई का बड़ा अवसर होता है।

कुत्ता बाजार भी इस बार चर्चा में है। यहां 411 कुत्तों की उपस्थिति दर्ज की गई है, जिनमें से 59 कुत्ते बिक चुके हैं। इंडियन स्पिट्ज, लैब्राडोर, रॉटवाइलर, जर्मन शेफर्ड जैसी नस्लों की मांग सबसे अधिक है। कई खरीदार अपने बच्चों के लिए पालतू जानवर खोजते हैं तो कुछ सुरक्षा उद्देश्य से बड़े कुत्तों की तलाश में आते हैं। व्यापारी बताते हैं कि पालतू जानवरों के प्रति युवाओं की रुचि लगातार बढ़ रही है और यही कारण है कि कुत्ता बाजार पहले की तुलना में अधिक लोकप्रिय हो रहा है।

दूध देने वाली गायों और भैंसों की खपत भी अच्छी रही। मेले में 17 मुर्रा भैंसें और 12 फ्रीजियन व जर्सी गायें मौजूद हैं। पशुपालक बताते हैं कि अच्छी नस्ल की दुधारू मवेशियों की मांग हमेशा स्थिर रहती है और किसान अपने पशुधन को मजबूत करने के लिए सोनपुर जैसे बड़े बाजारों से ही खरीदारी करना पसंद करते हैं। इन सभी बाजारों की चहल-पहल यह संकेत देती है कि भले ही घोड़ा बाजार लगभग खत्म हो गया हो, लेकिन मेले का आकर्षण अब भी बरकरार है और छोटे पशुओं की बिक्री पूरे उत्साह के साथ जारी है।

सोनपुर मेला में पुलिस की बड़ी कार्रवाई

मेले की भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए सारण पुलिस जिला हर वर्ष विशेष बल की प्रतिनियुक्ति करता है। लेकिन इस बार सात पुलिस अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। जांच प्रतिवेदन में पाया गया कि ये अधिकारी अपने प्रतिनियुक्ति स्थल से बिना अनुमति अनुपस्थित थे, जो ड्यूटी के प्रति गंभीर लापरवाही मानी जाती है।

जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें कई जिलों से आए पुलिस अवर निरीक्षक और सहायक अवर निरीक्षक शामिल हैं। वरीय पुलिस अधीक्षक डॉ. कुमार आशीष ने इन सभी के वेतन पर रोक लगाने और सात दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का आदेश जारी किया है। यह निर्णय इस संदेश को मजबूत करता है कि कर्तव्य की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी, खासकर ऐसे समय में जब मेले में लाखों लोगों की भीड़ रहती है और सुरक्षा सर्वोपरि होती है।

निर्धारित समय पर बीट में मौजूद नहीं

जांच में यह पाया गया कि संबंधित अधिकारी अपने निर्धारित समय पर बीट में मौजूद नहीं थे। पुलिस अधिकारियों का तर्क था कि वे कुछ कारणों से अस्थायी रूप से हटे थे, लेकिन जांच रिपोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। एसपी का कहना है कि अनुशासनहीनता के मामलों में कठोर कार्रवाई आगे भी की जाएगी, जबकि उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाएगा।

इस घटना के बाद पुलिस विभाग के भीतर भी हलचल मची है। कई अधिकारी मानते हैं कि ऐसी सख्ती मेले जैसे संवेदनशील आयोजनों में अत्यंत आवश्यक है। भीड़ प्रबंधन, चोरी, बच्चों की सुरक्षा, ट्रैफिक नियंत्रण और शांति व्यवस्था जैसे मुद्दों पर जिम्मेदारी बढ़ जाती है। ऐसे में किसी भी अधिकारी की कमी सीधा जोखिम पैदा कर सकती है।