पटना में नदी घाटों के साथ घर पर भी पानी के टब में खड़े होकर दिया भगवान सूर्य को अर्घ्य, दिखा उत्साह
Patna - छठ महापर्व के दौरान आज पटना में पारंपरिक गंगा घाटों के अलावा एक नया और तेजी से बढ़ता प्रचलन देखने को मिला। नदी के घाटों पर होने वाली भारी भीड़ से बचने के लिए, शहर के कई इलाकों में छठ व्रतियों ने अपने घरों की छतों पर बने कृत्रिम हॉद (टैंक) और बड़े टबों में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।

नदी घाटों की भीड़ से बचने का सफल तरीका
गंगा नदी के किनारे बने छठ घाटों पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं, जिससे भीड़ और सुरक्षा का दबाव बढ़ जाता है। इसी समस्या से निपटने के लिए, खासकर शहरी क्षेत्रों के व्रतियों और उनके परिवारों ने अपने आवासों पर ही अस्थायी अर्घ्य स्थल तैयार किए।
बढ़ता प्रचलन

इस वर्ष यह देखा गया कि कई अपार्टमेंट और घरों की छतों पर ईंटों और सीमेंट से छोटे-छोटे हौज (हॉद) बनाए गए, या फिर प्लास्टिक के बड़े टबों का इस्तेमाल किया गया। व्रती महिलाओं ने इन्हीं कृत्रिम जलकुंडों में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया।
सुरक्षा और भीड़ से सुरक्षा

सुविधा और सुरक्षा: घर पर अर्घ्य देने से व्रतियों को लंबी दूरी तय करने, भीड़ में शामिल होने और संभावित दुर्घटनाओं के जोखिम से मुक्ति मिली। इसके साथ ही, बुजुर्ग और बीमार व्रतियों के लिए यह व्यवस्था विशेष रूप से आरामदायक साबित हुई।
स्वरूप बदला, श्रद्धा बरकरार

इस नए चलन ने यह साबित कर दिया है कि आस्था और परंपरा का महापर्व छठ अपनी सुविधा और सुरक्षा के अनुसार स्वरूप बदल रहा है, लेकिन इसकी पवित्रता और श्रद्धा अक्षुण्ण बनी हुई है। घर की छतों से छठ गीतों की गूंज और सूर्य की आराधना ने पटना के शहरी क्षेत्रों को एक नया, अनूठा छठिया रूप दिया।