BPSC 70th Exam: BPSC पेपर लीक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से छात्रों को लगा झटका! मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से किया मना, बताई ये वजह

सुप्रीम कोर्ट ने BPSC पेपर लीक की याचिकाएं खारिज कर दी हैं और मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

BPSC 70th Exam: BPSC पेपर लीक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसल
bpsc bpsc leak- फोटो : social media

BPSC 70th Exam Paper Leak: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (23 अप्रैल) को बीपीएससी (Bihar Public Service Commission) की मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने की याचिकाओं को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि 70वीं कंबाइंड कंपटिटिव प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक हुआ था। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने यह निर्णय सुनाया और कहा कि याचिकाकर्ता पेपर लीक के आरोपों को प्रमाणित करने में विफल रहे।कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि “हर परीक्षा को कोर्ट में चुनौती देना एक बुरी प्रवृत्ति बन गई है,” जिससे न केवल न्यायिक प्रणाली पर दबाव बढ़ता है बल्कि भर्ती प्रक्रिया में अनावश्यक देरी भी होती है।

 डिजिटल साक्ष्य पर उठा सवाल

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश देसाई ने बहस की। उन्होंने दावा किया कि उनके पास व्हाट्सएप संदेश और एक वीडियो है, जिसमें कथित तौर पर परीक्षा केंद्र में लाउडस्पीकर से उत्तर बताए जा रहे थे। लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए इसपर भरोसा नहीं जताया कि परीक्षा केंद्रों में मोबाइल फोन की अनुमति नहीं थी, और साक्ष्य प्रमाणिक नहीं थे।

बीपीएससी और सरकार की सफाई: "150 में सिर्फ 2 प्रश्न मेल खाते हैं"

सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने BPSC और बिहार सरकार की ओर से अदालत में पेश होते हुए परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता की रक्षा की। उन्होंने बताया कि पेपर लीक के आरोप सिर्फ "बापू परीक्षा परिसर" तक सीमित हैं और वहाँ प्रभावित करीब 10,000 उम्मीदवारों की दोबारा परीक्षा पहले ही कराई जा चुकी है।उन्होंने यह भी बताया कि कोचिंग सेंटर के प्रश्नों से मिलते-जुलते मात्र दो प्रश्न 150 में से पेपर में पाए गए, जिससे यह साबित होता है कि कोई व्यवस्थित लीक नहीं हुआ था।

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पेपर लीक अगर हुआ भी तो परीक्षा शुरू होने के बाद-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि अगर पेपर लीक हुआ भी होगा तो वह छात्रों के परीक्षा केंद्र में प्रवेश के बाद हुआ होगा। इसका अर्थ यह है कि यह लीक पूरी परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बगैर पुख्ता प्रमाणों के पूरे एग्जाम सिस्टम को रद्द नहीं किया जा सकता।

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