सिर्फ 25 सीटों पर सिमटी राजद, तेजस्वी यादव का नेता प्रतिपक्ष बनना कितना मुश्किल, जानें पूरा नियम

25 सीट जीतने के बाद मुख्यमंत्री बनने का सपना टूटने के बाद तेजस्वी यादव के सामने अब यह उत्सुकता बनी हुई है कि क्या वह नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर भी बैठ पाएंगे या नहीं।

सिर्फ 25 सीटों पर सिमटी राजद, तेजस्वी यादव का नेता प्रतिपक्ष

Patna - बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए बेहद निराशाजनक रहे हैं। 'मुख्यमत्री' बनने का सपना लेकर मैदान में उतरे तेजस्वी यादव की पार्टी महज 25 सीटों पर सिमट गई, जो कि आरजेडी के इतिहास का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है। पार्टी का यह हाल तब हुआ है जब तेजस्वी यादव अपनी राघोपुर सीट बचाने में तो सफल रहे, लेकिन उनके कई धुरंधर चुनावी मैदान में धराशायी हो गए।

आरजेडी के इतिहास का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन

आरजेडी के इस निराशाजनक प्रदर्शन ने 2010 के कड़वे अनुभव की याद दिला दी है। इससे पहले, 2010 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को केवल 22 सीटें मिली थीं। उस समय, 168 सीटों पर लड़ने वाली आरजेडी, नीतीश कुमार की लहर में पस्त हो गई थी। इस बार, पीएम मोदी और सीएम नीतीश के नेतृत्व में आई एनडीए की "सुनामी" ने 2020 में जीती गई 75 सीटों वाली आरजेडी को 2025 में सिर्फ 25 सीटों पर समेट दिया।

तेजस्वी के सामने अब नई चुनौती: नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी

चुनावों से पहले मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाले तेजस्वी यादव के सामने अब यह उत्सुकता बनी हुई है कि क्या वह नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर भी बैठ पाएंगे या नहीं। नियमानुसार, उन्हें यह पद मिल सकता है। बिहार में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए संबंधित पार्टी के पास विधानसभा में कुल सदस्यों की तुलना में कम से कम 10 प्रतिशत विधायक होने चाहिए। विधानसभा की कुल संख्या 243 है, और आरजेडी के पास 25 विधायक हैं, जो 10% की सीमा को पूरा करते हैं। इस हिसाब से, विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण आरजेडी के लिए यह कुर्सी सुनिश्चित हो सकती है।

महागठबंधन के सहयोगी भी नहीं ला पाए 10 सीटें

आरजेडी की हार के साथ, महागठबंधन के अन्य दलों का प्रदर्शन भी बेहद कमजोर रहा। महागठबंधन के अन्य दल मिलकर मुश्किल से 10 सीटें ही ला पाए। इनमें कांग्रेस को केवल छह सीटें मिलीं, जबकि वाम दलों और अन्य सहयोगियों को चार सीटें ही हासिल हुईं। चुनाव से पूर्व, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार में जोर-शोर से अभियान चलाया था, जिसकी 'मछली पकड़ने वाली तस्वीर' भी खूब वायरल हुई थी। प्रियंका गांधी समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने भी प्रचार किया था, लेकिन यह सब मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रहा।

तेजस्वी के नेतृत्व पर उठे सवाल

2020 में 75 सीटें जीतकर विपक्ष को मजबूत करने वाले तेजस्वी यादव का यह प्रदर्शन उनके नेतृत्व और पार्टी की रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आरजेडी का 25 सीटों पर सिमट जाना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि पार्टी समीकरणों को साधने और जमीनी संगठन को मजबूत करने में विफल रही, जिसके परिणामस्वरूप एनडीए ने एक बार फिर बिहार में शानदार जीत दर्ज की।