आईपीएस की नौकरी छोड़ बिहार की राजनीति में उतरे, जमानत भी नहीं बचा पाए, मिले सिर्फ इतने वोट

आईपीएस की नौकरी छोड़ बिहार की राजनीति में उतरे, जमानत भी नही

Patna - बिहार विधानसभा चुनाव में कई नौकरशाहों ने भी अपनी किस्मत आजमाई, इनमें कुछ ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने नौकरी से वीआरएस लेने के बाद जनता के बीच जाने का फैसला लिया। लेकिन इनमें उन्हें पूरी सफलता नहीं मिली। 

तीन आईपीएस के नाम चर्चा में रहे

इस विधानसभा चुनाव में तीन आईपीएस भी चर्चा में   रहे। जिन्होंने बिहार की राजनीति के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। इनमें एसएसपी के पद से इस्तीफा देनेवीले आनंद मिश्रा, आईजी से रिजाइन करनेवाले शिवदीप लांडे और हिमाचल प्रदेश के आईपीएस रहे डा. जेपी सिंह का नाम शामिल है। इनमें सिर्फ आनंद मिश्रा ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे। लांडे और जेपी सिंह को जनता ने नकार दिया। इनमें जेपी सिंह की हालत सबसे खराब रही।

वर्ष 2000 बैच के आइपीएस अधिकारी डा. जेपी सिंह इस साल जनवरी महीने में पदोन्नत होकर एडीजीपी बने थे। जुलाई में उन्होंने वीआरएस ली थी।  उनके वीआरएस के फैसले के बाद अफसरशाही में खासी चर्चा थी। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज से उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन न केवल वह चुनाव हारे, बल्कि उनकी जमानत तक जब्त हो गई।

छपरा सीट पर लड़ा चुनाव, 3433 वोट मिले

डा. जेपी सिंह बिहार की छपरा सीट से चुनाव लड़े थे। उन्हें चुनाव में महज 3433 वोट मिले। छपरा सीट पर 10 उम्मीदवारों में चौथे नंबर पर रहे, मगर हार का अंतर 83412 था। यदि वह वीआरएस यानि एच्छिक सेवानिवृति न लेते तो 31 जुलाई 2027 को सेवानिवृत होना था।