Bihar Politics:सियासी बिसात पर उपेंद्र का बड़ा दांव, आरएलएम में कई दिग्गजों की एंट्री, बिहार में सियासत और नए विकल्प की दस्तक
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज़ है और इस बार केंद्र में है राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम)। उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में पार्टी ने ऐसा सियासी दांव चला है...
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज़ है और इस बार केंद्र में है राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम)। उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में पार्टी ने ऐसा सियासी दांव चला है, जिसने सत्ता के गलियारों से लेकर ज़मीन तक संदेश दे दिया है कि आरएलएम अब सिर्फ़ विकल्प नहीं, बल्कि विकल्प की तैयारी है। विभिन्न राजनीतिक दलों से आए वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं ने आरएलएम की सदस्यता ग्रहण कर यह साफ़ कर दिया कि भरोसे की सियासत आज भी ज़िंदा है।
पार्टी की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में नए सदस्यों का औपचारिक इस्तक़बाल किया गया। मंच पर पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद थे और नीचे कार्यकर्ताओं में जोश दिखा। यह महज़ सदस्यता ग्रहण कार्यक्रम नहीं था, बल्कि आरएलएम के भविष्य का सियासी ऐलान था। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि इन नेताओं के जुड़ने से पार्टी को बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों में भी संगठनात्मक ताक़त मिलेगी। उनका मानना है कि अनुभव और ज़मीनी पकड़ का यह संगम आरएलएम को नई रफ़्तार देगा।
उपेंद्र कुशवाहा ने तल्ख़ मगर साफ़ लहजे में कहा कि देश की राजनीति को आज एक ईमानदार, मज़बूत और जनहितकारी विकल्प की ज़रूरत है। उन्होंने दो-टूक कहा कि आरएलएम किसानों, युवाओं, महिलाओं और पिछड़े वर्गों की आवाज़ बनकर सड़क से सदन तक संघर्ष करती रही है और आगे भी करेगी। पार्टी का दावा है कि नए नेताओं की सामाजिक और राजनीतिक समझ संगठन के विस्तार और जनाधार को मज़बूत करेगी, जिससे आने वाले चुनावों में आरएलएम एक निर्णायक भूमिका में नज़र आएगी।
पार्टी में शामिल होने वाले प्रमुख चेहरों में पूर्व सांसद डॉ. ईके बाजपेयी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री राज यादव, दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विनोद नागर, सामाजिक कार्यकर्ता महेश कश्यप, पूर्व संगठन पदाधिकारी राकेश चौधरी और वरिष्ठ राजनीतिक कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह शामिल हैं। इन नामों ने आरएलएम की सियासी हैसियत को एक नया क़द दिया है।
डॉ. ईके बाजपेयी ने सदस्यता ग्रहण करने के बाद कहा कि पुराने दल में उन्हें न सम्मान मिला, न नेतृत्व की क़द्र। आरएलएम से जुड़ना उन्हें घर लौटने जैसा महसूस हुआ। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े हालिया विवाद पर उपेंद्र कुशवाहा ने संयम का पैग़ाम दिया। उन्होंने कहा कि जिस घटना को लेकर राजनीति हो रही है, उसका ग़लत मतलब निकाला गया है वह आशीर्वाद का भाव था, दुर्भावना नहीं।स्पष्ट है कि आरएलएम अब सियासत में शोर नहीं, बल्कि सोच-समझकर चलने वाली रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है।