मुंह पर कालिख और दामन पर दाग! कौन है ये संयुक्त सचिव? जानिए ED ने क्यों कसा शिकंजा फरार दलाल रिशुश्री क्या है रिश्ता?

मामूली ठेकेदार से पावर कॉरिडोर के सबसे विश्वस्त दलाल बने रिशुश्री जो अब सपरिवार फरार है से विशेष नजदीकी रखने वाले बिहार सरकार के सीनियर अफसर, रिश्वत लेकर ठेके देने के आरोप में बुरी तरफ उलझकर ED के शिकंजे में फंसते नजर आ रहे है

मुंह पर कालिख और दामन पर दाग! कौन है ये संयुक्त सचिव? जानिए
मुंह पर कालिख और दामन पर दाग! कौन है ये संयुक्त सचिव? जानिए- फोटो : NEWS 4 NATION

N4N डेस्क। दिन शुक्रवार,तारीख 28 मार्च 2025 को बिहार की राजधानी पटना में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आईएएस अधिकारी संजीव हंस के भ्रष्टाचार मामले की जांच के दौरान बड़ी कार्रवाई की. ED ने बिहार सरकार के सात वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों से 11.64 करोड़ रुपये नकद बरामद किए.साथ ही इनके आवास से  जायदाद के कागजात,रिश्वत बांटने के रिकॉर्ड समेत विभिन्न डिजिटल सबूत (मोबाइल, लैपटॉप आदि) बरामद किए गए.यह कार्रवाई सरकारी टेंडर और ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के आरोपों पर की गई.


किस-किस के यहां हुई ED की रेड

ED ने 7 अधिकारियों के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की

तारिनी दास – निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता

मुमुक्षु चौधरी – वित्त विभाग में संयुक्त सचिव

उमेश कुमार सिंह – शहरी विकास विभाग में कार्यपालक अभियंता

अयाज अहमद – बिहार शहरी बुनियादी ढांचा विकास निगम के उप परियोजना निदेशक

सागर जायसवाल – बिहार मेडिकल सर्विसेज में उप महाप्रबंधक

विकास झा – उप महाप्रबंधक (मेडिकल सर्विसेज)

साकेत कुमार – निर्माण विभाग में कार्यपालक अभियंता


ईडी ने इन पर आरोप लगाया कि इन अधिकारियों को सरकारी निविदाओं में मनमाफी परिणाम देने और विभिन्न ठेकेदारों के बिलों को मंजूरी देने के बदले में भारी रिश्वत मिली थी. उम्मीद जताई जा रही है कि एजेंसी द्वारा जब्त दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों की आगे जांच किए जाने के बाद इन पर अतिरिक्त कानूनी कार्रवाई होगी.इसका असर भी दिखा और जांच को आगे बढ़ाते हुए ईडी ने विशेष निगरानी इकाई को तारिणी दास पर कार्रवाई के लिए लिखा था.


ED ने लिखा विशेष निगरानी इकाई को मुकदमे खातिर पत्र 

मार्च के आखिरी दिनों में ED के इस ताबड़तोड़ एक्शन के अब जा कर प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने संयुक्त सचिव मुमुक्षु चौधरी के खिलाफ प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने के लिए विशेष निगरानी विभाग को पत्र भेजा है. इस पत्र के बाद अब भ्रष्टाचार के मामले में बिहार सरकार के वित्त विभाग के इस संयुक्त सचिव की मुश्किलें बढ़ने वाली है. तो आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये अधिकारी है कौन और क्या है इन का इतिहास और क्या है फरार दलाल रिशुश्री रिश्ता?

कौन है मुमुक्षु चौधरी? 

मूल रूप से नालन्दा के रहने वाला बिहार प्रशासनिक सेवा का यह  सीनियर अफसर वर्तमान में बिहार सरकार के वित्त विभाग में बतौर संयुक्त सचिव तैनात है.नाम है मुमुक्षु कुमार चौधरी. साहब का अतीत और वर्तमान लगातार चर्चा में रहा है. सूत्रों की माने तो सीतामढ़ी और सहरसा में पदस्थापन के दौरान मुमुक्षु ने मामूली ठेकेदार से पावर कॉरिडोर के सबसे विश्वस्त दलाल बने रिशुश्री जो अब सपरिवार फरार है से विशेष नजदीकी रखने और रिशुश्री की कंपनियों को रिश्वत के बदले करोड़ रुपये के ठेके आवंटित किये थे. सूत्रों की माने तो इडी ने जो प्रस्ताव भेजा है उसमें यह बात आ रही है कि मुमुक्षु चौधरी ने सहरसा के म्युनसिपल कमिश्नर के पद पर रहते हुए लाखों रुपये रिशुश्री के मार्फत अन्य अधिकारियों को दिये गये.ED द्वारा की गई कार्रवाई में यह खुलासा हुआ कि मुमुक्षु चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने ठेकेदार रिशुश्री की कंपनियों को ठेके देने के बदले रिश्वत ली. इन ठेकेदारों को ठेके देने के लिए अफसर ने कथित तौर पर पैसे लिए, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया.

मुंह पर पुती कालिख

घटना,17 अगस्त 2024 की सहरसा नगर निगम में वार्ड पार्षद की मीटिंग हो रही थी. जिसमें मेयर बेनप्रिया, उप मेयर गुड्डू हयात, नगर आयुक्त मुमुक्षु कुमार चैधरी, वार्ड पार्षद मो ताहिर सहित कई वार्ड पार्षद मौजूद थे. इस मीटिंग के दौरान सभी ठीक था लेकिन जैसे ही मीटिंग समाप्त हुई, उसके बाद जो हुआ वो काफी हैरान करने वाला था. मीटिंग के बाद वार्ड पार्षद प्रतिनिधि मो तारिक ने तत्कालीन नगर आयुक्त के मुंह पर कालिख पोत दी.  जिसके बाद वार्ड पार्षद को बॉडी गार्ड ने पकड़ लिया. 

वहीं, इसके बाद भी वार्ड पार्षद नहीं रुके उन्होंने 'नगर आयुक्त की तानाशाही नहीं चलेगी' नारा लगाना शुरू कर दिया कि नगर आयुक्त नगर निगम को लूटना बंद करो, बंद करो ,बंद करो.  हालांकि इस मामले को लेकर नगर आयुक्त मुमुक्षु कुमार चौधरी के द्वारा अभी तक कोई भी आवेदन सदर थाने में नही दिया गया.यह मामला सुर्खियों में रहा और वक्त के साथ तमाम आरोप मुमुक्षु चौधरी पर लगे और फिर 8 दिसंबर 2024 को इनका तबादला सहरसा के नगर आयुक्त पद से कर दिया गया. 

ED द्वारा की गई कार्रवाई में यह खुलासा हुआ कि मुमुक्षु चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने ठेकेदार रिशुश्री की कंपनियों को ठेके देने के बदले रिश्वत ली. इन ठेकेदारों को ठेके देने के लिए अफसर ने कथित तौर पर पैसे लिए, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया.फिलहाल, मामले की जांच जारी है और ईडी इस संदिग्ध रिश्वतखोरी के मामले में और सबूत जुटाने की कोशिश कर रही है.