Lalu Yadav: लैंड-फॉर-जॉब केस पर आज फैसला, लालू परिवार और तेजस्वी के लिए परीक्षा का दिन, बिहार की राजनीति में हलचल!

Lalu Yadav: दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई अदालत में आज का दिन बेहद नाज़ुक, बल्कि “फैसले की घड़ी” साबित हो सकता है।

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लैंड फॉर जॉब स्कैम में लालू परिवार की बढ़ेंगी मुश्किलें !- फोटो : social Media

Lalu Yadav: दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई अदालत में आज का दिन बेहद नाज़ुक, बल्कि “फैसले की घड़ी” साबित हो सकता है। लैंड फॉर जॉब घोटाले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटों तेजस्वी और तेजप्रताप, बेटी मीसा भारती समेत कई नाम कोर्ट की नज़र में पहले से ही मुलज़िमान की फेहरिस्त में दर्ज हैं। अब अदालत यह तय करेगी कि इन सभी के खिलाफ  मौजूदा सबूत मुकदमे की राह खोलने लायक हैं या नहीं।

यह पूरा मामला उन दिनों का है जब साल 2004 से 2009 के बीच लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप है कि उस दौरान “रेल नौकरी की आड़ में जमीन हड़पने की सौदेबाज़ी” हुई। सीबीआई की चार्जशीट तो और भी संगीन तस्वीर पेश करती है पश्चिम मध्य रेल जोन में ग्रुप-डी जॉब्स की एवज़ में कई लोगों से उनकी पुश्तैनी जमीनें ट्रांसफर कराई गईं। जांच एजेंसी ने पूरे खेल को साज़िश, फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का एक ऐसा जाल बताया है जिसमें 100 से ज्यादा लोग फँसे मिले, जिनमें से 78 के खिलाफ फाइनल चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।

कानून की ज़बान में कहें तो, IPC की धारा 120B (क्रिमिनल कांस्पिरेसी), 420 (चीटिंग), 467/468/471 (फर्जी दस्तावेज़, जालसाज़ी) के अलावा प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की कई धाराएँ इस केस को बेहद ‘भारी’ बना देती हैं। पिछले दौर की सुनवाई में अदालत ने सिर्फ IRCTC होटल घोटाला मामले में चार्ज तय किए थे, मगर लैंड फॉर जॉब स्कैम पर आज निर्णायक फैसला संभावित है।

 लालू परिवार 2013 से इस केस में  कानूनी घेराबंदी झेल रहा है। कभी पेशी, कभी पूछताछ 2024 में तो ईडी ने लालू और तेजस्वी से 10 घंटे तक पूछताछ भी की थी। हालांकि अक्टूबर 2024 में सभी 9 आरोपियों को 1-1 लाख के निजी मुचलके पर बेल जरूर मिल गई थी, मगर घोटाले की फाइल अभी भी  धधकती राख  की तरह अदालत में पड़ी है।

अब देखना यह है कि आज अदालत की कानूनी तलवार लालू परिवार पर चलती है या उन्हें कानूनी राहत की सांस मिलती है। देश की सियासत की नब्ज़ थामे लोग इस फैसले का इंतज़ार कर रहे हैं—क्योंकि यह मामला सिर्फ जमीन और नौकरी का नहीं, बल्कि सियासी विरासत, कानूनी इम्तिहान और क्राइम की तफ़सील का संगम बन चुका है।