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Bihar Bypoll : कौन हैं प्रोफेसर खिलाफत हुसैन, बेलागंज से प्रशांत किशोर ने क्यों बनाया उम्मीदवार... लालू-तेजस्वी होंगे परेशान !

प्रोफेसर खिलाफत हुसैन मिर्जा गालिब कॉलेज में 2002-2017 तक गणित के विभागाध्यक्ष रहे हैं. ऐसे में पीके ने एक संदेश देने की कोशिश की है कि वे पढ़े लिखे और प्रतिष्ठित लोगों को अपने दल से उम्मीदवार बना रहे हैं. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता संख्

 Professor Khilafat Hussain

Bihar Bypoll : बेलागंज विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को जनसुराज से उम्मीदवार बनाया गया है. प्रशांत किशोर ने शनिवार को उम्मदीवारों की सूची जारी की जिसमें प्रोफेसर खिलाफत हुसैन का नाम घोषित किया गया. प्रोफेसर खिलाफत हुसैन मिर्जा गालिब कॉलेज में 2002-2017 तक गणित के विभागाध्यक्ष रहे हैं. ऐसे में पीके ने एक संदेश देने की कोशिश की है कि वे पढ़े लिखे और प्रतिष्ठित लोगों को अपने दल से उम्मीदवार बना रहे हैं. इसके साथ ही पीके ने हुसैन के बहाने बेलागंज का सामाजिक समीकरण भी साधने की कोशिश की है. इससे एक बड़े मतदाता वर्ग को अपने पाले में लाने की कोशिश है. 

प्रोफेसर खिलाफत हुसैन मिर्जा गालिब कॉलेज में गणित के HOD रह चुके हैं. वह 1976-2002 मिर्जा गालिब कॉलेज में गणित के लेक्चरर रह चुके हैं. इसके पहले 1972 से 76 के बीच आजाद हाई स्कूल, चाकंद गया के गणित के शिक्षक रहे हैं. इनकी बहू हबीबा बिंत मंसूर मिर्जा गालिब कॉलेज में जूलॉजी डेमोस्ट्रेटर हैं और इनके बड़े बेटे मुजफ्फर अहमद अरमान मिर्जा गालिब कॉलेज में फारसी के शिक्षक हैं.


दरअसल, प्रशांत किशोर ने बेलागंज के समीकरणों को साधने के लिए काफी सोच समझकर प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाया है. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता संख्या करीब 2 लाख 87 हजार है. सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं जो करीब 70 हजार बताए जाते हैं. वहीं दूसरे नंबर पर  मुस्लिम वोटर 62 हजार हैं. इसके अतिरिक्त ब्राह्मण 5 हजार, भुमिहार 20 हजार, राजपूत 15 हजार, कोयरी-दांगी 25 हजार, बनिया 10 हजार, अनुसूचित जाति 50 हजार, अत्यंत पिछड़ी जाति 10 हजार, अन्य पिछड़ी जाति 20 हजार हैं. 


2005 में दिखा था असर : मुस्लिम उम्मीदवार उतरने से वर्ष 2005 में भी लालू यादव के लिए बेलागंज में चुनौती दिखी थी.  2005 के चुनाव के मो. अमजद लोजपा के उम्मीदवार थे. जीत भले ही सुरेन्द्र यादव की हुई थी लेकिन मो. अमजद ने उन्हें कड़ी टक्कर दी और दूसरे नंबर पर रहे. वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव में मो. अमजद ने जदयू प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमाई.  मो. अमजद को 48441 वोट मिले थे, जबकि 52079 वोट लाकर सुरेंद्र यादव उस समय भी चुनाव जीत गए थे. ऐसे में पीके द्वारा अब  प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार बनाने से एक बार फिर से मुस्लिम गोलबंद हुए तो वर्ष 2005 और 2010 की तरह एक रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. 


विधानसभा उपचुनाव में बिहार की बेलागंज सीट राजद की प्रतिष्ठा के साथ ही सुरेन्द्र यादव के लिए भी गढ़ बचाने की चुनौती है. वर्ष 1990 के बाद से बेलागंज और सुरेन्द्र यादव एक दूसरे के पूरक बन गए. यानी तब से अब तक बेलागंज विधानसभा सीट पर लगातार आठ बार सुरेन्द्र यादव ने जीत हासिल की. प्रतिद्वंद्वी कोई भी लेकिन पिछले 34 से बेलागंज सुरेन्द्र यादव का अभेद किला बना हुआ है. इस बार सुरेन्द्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को यहां से राजद उम्मीदवार बनाया जा सकता है. वहीं जदयू की ओर से कुछ नामों पर चर्चा है.


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