Patna - बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाले हुए राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह के दो साल बीत गए । 5 दिसंबर 2022 को कांग्रेस ने अखिलेश प्रसाद सिंह को बिहार में पार्टी का अध्यक्ष बनाया है। पीसीसी चीफ बनते ही अखिलेश प्रसाद सिंह की पहली परीक्षा 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में हुई । जिसमें उन्हें अच्छी सफलती मिली और पार्टी ने महागठबंधन के नेतृत्व में 19 सीटों पर जीत दर्ज की। हांलाकि सरकार बनाने गठबंधन चूक गई।
लोकसभा में 1 सीट से 3 सीट पर पहुंची पार्टी
इसके बाद 2024 लोकसभा चुनावों में पार्टी ने उनके नेतृत्व में तीन लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी ने कटिहार, सासाराम और किशनगंज में सीट पर सफळता मिली। अध्यक्ष रहते 1 लोकसीट से पार्टी को 3 लोकसभा सीट तक पहुंचाने में वे कामयाब रहे।
आक्रामक शैली और बेबाक बयान
अखिलेश प्रसाद सिंह की छवि प्रदेश में एक तेज़तर्रार और तीखे तेवरों वाले नेता की है। जब वे प्रदेश के दौरे पर निकलते हैं तो कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं में अपार भीड़ जुटती है। पिछले दो वर्षों में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी की और बिहार एनडीए के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी है उसने ज़मीनी स्तर तक के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कथित अफसशाही के मामले एक के बाद एक उन्होंने उजागर किए। उन्होंने शक्तिशाली अधिकारियों को भी खुले आम चुनौती दी उससे राज्य में कांग्रेस की छवि बदली।
संगठन को ताक़तवर बनाने की कवायद
एक ओर जब भाजपा बूथ के स्तर तक कार्यकर्ता की बात कर रही थी तब बिहार कांग्रेस के पास संगठन काफी कमजोर थी। इस कमज़ोरी को अखिलेश सिंह ने पहचाना और बूथ स्तर पर काम करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि आज जो भी बिहार कांग्रेस का राज्य में जनाधार बढ़ा है, संगठन की वजह से ही हैं, मेरी वजह से संगठन नहीं है। इसलिए मैंने प्रदेश में संगठन को मज़बूत करने को ही अपना मूल लक्ष्य बना रखा था।
आरएसएस और भाजपा से खुली लड़ाई
राष्ट्रीय स्तर पर अगर आरएसएस से खुली लड़ाई लड़ते हुए सिर्फ़ राहुल गांधी दिखते हैं तो बिहार में यह कमान अकेले अखिलेश प्रसाद सिंह ने संभाल रखी है। वे खुलकर आरएसएस के सांप्रदायिक मुद्दे का विरोध करते हैं। साथ ही अर्थव्यवस्था में कुछ ही पूंजीपतियों को आगे बढ़ाने की मोदी सरकार की मानसिकता पर खुलकर अपने विचार रखते हैं।
स्मार्ट मीटर और जमीन सर्वे को बनाया मुद्दा
राज्य में पहली बार अगर किसी नेता ने स्मार्ट बिजली मीटर का विरोध किया तो वे अखिलेश सिंह थे। जिसको लेकर कांग्रेस सेवा दल के नेतृत्व में राज्यभर में न्याय यात्रा निकाली गयी है, जिसका जनता ने भरपूर समर्थन किया। जमीन सर्वे पर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए सरकार को जमकर घेरा। उसी का परिणाम है कि दोनों पर एनडीए सरकार बैकफुट पर आ गयी है। जमीन सर्वे को ठंडे बस्ते में डालना पड़ गया।
अगड़ों जाति वोटरों पर अच्छी पकड़
डॉ.अखिलेश प्रसाद सिंह का कद बिहार की राजनीति में सामान्य नहीं माना जाता है। वे भूमिहार जाति से आते हैं। अखिलेश प्रसाद बिहार के अनुभवी नेता माने जाते हैं। अब उन्हें राहुल गांधी का करीबी नेता भी माना जाता है। अखिलेश प्रसाद सिंह बिहार कांग्रेस के कैंपेन समिति के अध्यक्ष भी बनाए गए थे। कांग्रेस सरकार में रहे केंद्रीय मंत्री डॉ.अखिलेश प्रसाद सिंह साल 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था। इस वक्त वो मोतिहारी से लोकसभा का चुनाव लड़े थे। इसके बाद कांग्रेस की ओर से 2007 में कांग्रेस ने उन्हें खाद उपभोक्ता राज्य मंत्री बनाया गया था।
2025 बिहार विधानसभा चुनाव पर फोकस
अब वे विधानसभा चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। तमाम राजनीतिक दलों की भांति प्रदेश अध्यक्ष का ध्यान चुनाव के पहले जहां अपनी जमीन मजबूत करने पर है वहीं जनता के बीच जाकर उन्हें अपनी नीतियों और कार्यो का ब्योरा की तैयारी में हैं।
बिहार भ्रमण पर निकलने की योजना
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह 14 जनवरी के बाद बिहार भ्रमण पर निकलने की योजना है। कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा जल्द ही संभव है। पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि आम जनता अखिलेश प्रसाद सिंह के कार्यों और जमीनी संघर्ष को नहीं भूलेगी। उनके नेतृत्व में सुस्त पड़ी बिहार कांग्रेस को एक नई दिशा मिली है। पार्टी नेता कहते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष का पद ग्रहण करने के बाद पहले वर्ष में बांका के मंदार पर्वत से 900 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले।
पार्टी के लिए अच्छी रणनीतिकार माने जाते हैं
महंगाई और इलेक्ट्रॉल बांड जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करते रहे। स्मार्ट बिजली मीटर के खिलाफ पहली आवाज डॉ. अखिलेश के नेतृत्व में उठाई गई। पहली बार सदाकत आश्रम में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इसी कड़ी में अब पार्टी अपने भावी कार्यक्रमों पर जोर लगा रही है ताकि चुनाव में आशा के अनुरूप सफलता प्राप्त की जा सके।