Bihar Politics: बिहार सरकार के द्वारा बीते दिन शिक्षक ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति से बिहार के शिक्षक नाखुश हैं। शिक्षकों ने ट्रांसफर पोस्टिंग नीति को लेकर कई आपत्तियां जताई है। वहीं अब शिक्षकों को बीजेपी का साथ मिल गया है। दरअसल, बीजेपी एमएलसी नवल किशोर यादव ने शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि स्थानांतरण नीति शिक्षकों के सहूलियत के लिए बनाया गया है ना की उनको परेशान करने के लिए ऐसे में सरकार को संशोधन करने की आवश्यकता है।
शिक्षकों की आपत्ति
दरअसल, शिक्षकों ने ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। शिक्षको का कहना है कि इस नियमावली में सबसे खराब प्रावधान है हर 5 साल में जबरन ट्रांसफर। यह समझ में नहीं आ रहा है। आज तक पूरे इतिहास में कभी शिक्षकों के लिए जबरन ट्रांसफर का प्रावधान नहीं रहा है। फिर इस बार ऐसा क्यों? क्या हर 5 साल में सरकार ट्रांसफर के माध्यम से अवैध कमाई करना चाहती है? वहीं जब इसको लेकर बीजेपी नेता से सवाल किया गया तो उन्होंने भी शिक्षको के समर्थन में बयान दिया।
5 साल पर शिक्षकों का तबादला उचित नहीं
नवल किशोर यादव ने कहा कि, उन्होंने शिक्षक ट्रांसफर पोस्टिंग नियमावली को पढ़ा नहीं है। वहीं पुरुष शिक्षकों के दिव्यांग और महिलाओं शिक्षिका के तुलना को लेकर उन्होंने कहा कि पुरुषों को महिलाओं या दिव्यांगों से तुलना नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपनी बातों को रखना चाहिए उनके बातों को सुना जाएगा। उन्हें अपनी डिमांड रखना चाहिए। वहीं नवल किशोर ने 5 साल पर शिक्षकों के ट्रांसफर पर आपत्ति जताई है।
लालू यादव ने भी लाया था यह नियम, बर्बाद हो गया था स्कूल
5 साल में ट्रांसफर ले लेने नियम आने के बाद शिक्षकों के विरोध के सवाल पर नवल किशोर यादव ने कहा कि शिक्षक विरोध करे या न करे स्कूलों के दृष्टिकोण से खतरनाक है। उन्होंने कहा कि, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी ऐसी ही स्थानांतरण किया था। पूरा स्कूल बर्बाद हो गया था। 5 साल पर स्थानांतरण मतलब शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जिलों में खुली माल प्रैक्टिस करने की आजादी मिल जाएगी। छूट मिल जाएगा। ऐसा नहीं करना चाहिए। शिक्षक 5 साल 7 साल रहकर अपने आप को उस इलाके में, स्कूल में स्थापित करते हैं। फिर वहां से उनको बीच में ही हटा देना कहीं से उचित नहीं है।
नियमावली में संशोधन जरुरी
वहीं शिक्षकों के आंदोलन पर लगे रोक को लेकर नवल किशोर यादव ने कहा कि, लोकतंत्र में अपनी बातों को रखना विरोध करना नहीं है। शिक्षक विरोध नहीं करते अपनी बातों को रखते हैं। उन्हें अपनी बात रखने का आजादी है। वो अपनी बातों को सरकार के सामने रखते हैं और सरकार उसके हिसाब से फैसला लेती है। उन्होंने कहा कि, इस नियमावली में भी संशोधन कराने पड़ेंगे। स्थानंतरण नीति शिक्षकों की सहूलियत के लिए बनाया गया है, उन्हें परेशान करने के लिए नहीं बनाया गया है।
पटना से अभिजीत की रिपोर्ट