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BIHAR POLITICS - विधायक का चुनाव लड़ना चाहते हैं चिराग पासवान, लोजपारा प्रमुख ने बता दिया क्या है उनका पूरा प्लान

BIHAR POLITICS - केद्रींय मंत्री व लोजपारा प्रमुख चिराग पासवान की चाहत बिहार में विधायक का चुनाव लड़ने की है। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में उनका इंटरेस्ट अधिक है। इसलिए वह विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।

 BIHAR POLITICS - विधायक का चुनाव लड़ना चाहते हैं चिराग पासवान, लोजपारा प्रमुख ने बता दिया क्या है उनका पूरा प्लान

PATNA - केंद्रीय मंत्री व लोजपा रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान अब विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। यह बात खुद चिराग पासवान ने कही है। चिराग ने कहा कि केंद्र से ज्यादा उन्हें बिहार की राजनीति में इंट्रेस्ट है। इस दौरान चिराग ने यह भी बता दिया कि वह कब विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।

एक निजी चैनल के कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राजनीति में आने का उनका मुख्य एजेंडा ही बिहार रहा है। इसे मैंने शुरू से क्लियर रखा है। मेरे पिता रामविलास पासवान केंद्र की राजनीति पर ज्यादा फोकस करते थे। लेकिन अपने आप को राज्य की राजनीति में ज्यादा देखता हूं। 2025 में नहीं तो 2030 में आप जरूर मुझे विधायक के तौर पर देखेंगे।

हालांकि इस दौरान चिराग ने यह भी बताया कि वह सिर्फ विधायक बनने की बात कर रहे हैं। बिहार के सीएम बनने की नहीं। 

एनडीए के विरोधी पार्टियों के साथ जाने से इनकार

चिराग ने यह भी साफ कर दिया कि तेजस्वी यादव से हाथ मिलाने या एनडीए का विरोध करने वाली पार्टियों के साथ अलायंस बनाने का उनका कोई इरादा नहीं है। चिराग पासवान ने कहा कि मैं प्रेशर पॉलिटिक्स में विश्वास नहीं रखता। 

जब तक मोदी, तब तक एनडीए के साथ

चिराग ने कहा कि उनका पूरा समर्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए है। जबतक वे मौजूद हैं मैं एनडीए के साथ हूं। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक गठबंधन की बात तब उठती है जब मौजूदा अलांयस ठीक से काम नहीं कर रहा हो। बिहार में जिस मजबूती के साथ एनडीए काम कर रहा है वह बरकरार रही तो 2025 के विधानसभा चुनाव में 225 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करके एनडीए की सरकार बनेगी।


जातिगत गणना को बताया आज की जरुरत

जातीय गणना का समर्थन करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि जाति में विश्वास नहीं रखता, लेकिन एक बार जाति आधारित गणना होना चाहिए। हम लोग स्वीकारें या इनकार पर यह एक सच्चाई जरूरी है। पिछड़े हुए लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने की नीतियां बनाने के लिए आंकड़ों का होना जरूरी है। उसी के अनुपात राशि का आवंटन होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए।


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