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One Nation One Eelection: एक देश एक चुनाव पर जदयू ने उठाए सवाल ! संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में इस मुद्दे पर जताई चिंता, विपक्ष ने बताया असंवैधानिक

एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा शुरू से केंद्र सरकार की इस पहल को असंवैधानिक करार दिया जा रहा है. अब इसी क्रम में एनडीए के सबसे बड़े सहयोगी जदयू ने भी भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है. नीतीश की पार्टी ने बड़ा सवाल पूछा है.

One Nation One Eelection
JDU on One Nation One Eelection- फोटो : news4nation

One Nation One Eelection: एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर जदयू भी असमंजस वाली स्थिति में दिखने लगी है. 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पर चर्चा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक में भाजपा की सहयोगी जेडी (यू) और विपक्षी दलों ने विधेयक की व्यवहार्यता और कार्यान्वयन को लेकर कई सवाल उठाए.


देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संसद के पिछले सत्र में पेश किए गए विधेयक का अध्ययन करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक हुई. इसमें  विपक्ष ने जहां इसे असंवैधानिक बताया वहीं जदयू भी कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण चाहती है.


सूत्रों के अनुसार बैठक में विपक्षी दलों के समिति सदस्यों ने विधेयक की संवैधानिकता और संघवाद के मुद्दों का मुद्दा उठाया, जबकि जेडीयू जैसे भाजपा सहयोगी यह जानना चाहते थे कि यदि एक कार्यकाल में कई बार सरकार गिरती है तो विधेयक चुनाव खर्च में कैसे कटौती करेगा. वहीं वाईएसआरसीपी को ईवीएम के इस्तेमाल पर संदेह है और कहा जाता है कि वह बैलेट पेपर पर वापस लौटने के सुझाव पर जोर दे रही है. 


दरअसल, संसदीय समिति की कार्यवाही विशेषाधिकार प्राप्त है और बैठकों के दौरान सदस्यों के बीच होनी वाली वार्ता के आदान-प्रदान का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जाता है. 39 सदस्यों वाली समिति दो विधेयकों की जांच कर रही है - एक संविधान संशोधन विधेयक जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ करने के लिए है, और दूसरा एक परिणामी विधेयक जो केंद्र शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए प्रासंगिक अधिनियमों में संशोधन करके एक साथ चुनाव कराने के लिए है.  


बैठक के दौरान कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने विधेयकों की पृष्ठभूमि, उनके तर्क और प्रस्तावों पर प्रेजेंटेशन दिया. वहीं जदयू ने इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक लॉजिस्टिक्स पर सवाल उठाए. वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा संविधान और देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है. दूसरी तरफ टीएमसी चाहती है कि समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक वर्ष का विस्तार मांगे, क्योंकि पैनल द्वारा जांचे जा रहे विषय की प्रकृति विस्तृत है. 

 

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