Bihar Election 2025 : बिहार में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भले ही करीब 10 महीने का समय शेष हो लेकिन अब अभी से सियासी बयानबाजी ने नई अटकलों को जन्म दे दिया है. खासकर सत्तारूढ़ एनडीए में इन दिनों नेतृत्व को लेकर कई किस्म की बयानबाजी हुई है. इससे इन बातों की चर्चा जोरों से शुरू हो गई है कि नीतीश कुमार को अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने को भाजपा तैयार नहीं है.
गृह मंत्री अमित शाह और बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के बयानों ने नीतीश कुमार के नाम पर भाजपा में सहमति नहीं होने को और ज्यादा मजबूती दी है. दूसरी ओर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखकर एनडीए से अलग होने का सुझाव देना भी इसी समय आया. ऐसे में एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं होने और इंडिया गठबंधन में नीतीश को लेकर पक रही खिचड़ी की चर्चा तेज हो गई है.
दरअसल, बिहार एनडीए में नीतीश के नाम पर सहमति नहीं है इसकी शुरुआत तब हुई जब एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में अमित शाह ने बड़ी घोषणा कर दी थी. शाह ने कहा कि बिहार में अगले साल विधानसभा का चुनाव किसके नेतृत्व में होगा, इसका फैसला संसदीय बोर्ड की बैठक में होगा. हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि जेडीयू से इस बारे में बात कर की जाएगी. उसके बाद ही नाम तय होगा कि किसके नेतृत्व में चुनाव होगा. पार्टी के फैसलों को सार्वजनिक मंच पर साझा नहीं किया जाता है. जब फैसला होगा, तब आपको बता दिया जाएगा.
वहीं अगर वर्ष 2005 से देखें तो जब भी बिहार में विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू एक साथ उतरी तब भाजपा नेताओं ने नीतीश कुमार को पहले ही मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर प्रोजक्ट किया. लेकिन यह पहला मौका है जब गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विधानसभा का चुनाव किसके नेतृत्व में होगा, इसका फैसला संसदीय बोर्ड की बैठक में होगा. वहीं 20 दिसम्बर को जदयू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के आवास पर बिहार एनडीए के सभी घटक दलों के अध्यक्षों की बैठक के बाद दिलीप जायसवाल ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे. लेकिन अगले दिन ही वे अपनी बात से पलट गये. नीतीश के नेतृत्व के मुद्दे पर भाजपा अध्यक्ष के सुर अचानक बदल गए. उन्होंने कहा कि हम तो छोटे कद के नेता हैं. ये काम को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का है.
अरविंद केजरीवाल की चिट्ठी ने बढाई टेंशन
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पिछले दिनों नीतीश कुमार को एक चिट्ठी लिखी. इसमें गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा पर बीआर अम्बेडकर का अपमान करने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने नीतीश से पूछा कि आप कैसे ऐसे लोगों का समर्थन कर सकते हैं. केजरीवाल ने नीतीश को फिर से इंडिया गठबंधन में आने का संकेत दिया. इसके पहले जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी नीतीश कुमार को लेकर सॉफ्ट रुख अपनाया था.
सीएम नीतीश की बिगड़ी तबीयत
अमित शाह के बयान, अरविंद केजरीवाल की चिट्ठी वाले प्रकरण के बीच ही अचानक से 20 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तबीयत बिगड़ गई. पटना में चल रहे बिहार बिजनेस कनेक्ट सहित अन्य सभी कार्यक्रमों से नीतीश से दूरी बना ली.
जदयू की दिल्ली में चुनाव लड़ने की तैयारी
बिहार में नेतृत्व की चर्चा के बीच ही जदयू ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव में उतरने की भी घोषणा कर दी है. 2020 चुनाव में बीजेपी ने जदयू को दो सीट दिया था. जेडीयू दोनों सीट हार गई. उसके पहले जदयू 2010 में चार सीटों पर चुनाव लड़ा था. जिसमें से तीन सीट जीती थी. 2015 में भी जदयू दिल्ली में चुनाव लड़ी लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया. अब जदयू दिल्ली में कम से कम पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है इसमें संगम विहार, बुराड़ी, सीमापुरी जैसी सीटें शामिल हैं. माना जा रहा है कि दिल्ली चुनाव में जदयू को भाजपा कितनी सीटें देती है इससे भी भविष्य के लिए बहुत कुछ तय होगा.
23 से प्रगति यात्रा, 15 से संयुक्त कार्यकर्ता बैठक
बिहार में विधानसभा चुनाव में एनडीए का नेतृत्व कौन करेंगे इन सवालों बीच ही नीतीश कुमार 23 दिसम्बर से प्रगति यात्रा पर निकल रहे हैं. पहले चरण की यात्रा का शेड्यूल भी तय हो चुका है. माना जा रहा है कि नीतीश अपनी इस यात्रा के जरिए जनता के नब्ज को टटोलेंगे. वहीं 15 जनवरी 2025 से एनडीए की संयुक्त कार्यकर्ता बैठक पूरे राज्य में सभी विधानसभा क्षेत्रों में होगी जो 25 फरवरी तक चलेगी. ऐसे में एक ओर नीतीश कुमार अपनी यात्रा से खुद को जनता से जोड़ने में लगे हैं तो दूसरी ओर एनडीए में बेहतर सामंजस्य के लिए संयुक्त कार्यकर्ता बैठक कर रही है. वहीं विधानसभा चुनाव में चेहरा कौन होगा यह सवाल जरुर एनडीए के लिए मुसीबत बन गया है.