BPSC Protest: बिहार में बीपीएससी अभ्यर्थियों का आंदोलन अब भी जारी है। पटना के दो प्रमुख स्थानों पर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है। एक ओर पटना के गदर्नीबाग में बीपीएससी अभ्यर्थियों के द्वारा आंदोलन किया जा रहा है तो दूसरी और पीके पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे हैं। रविवार को प्रशांत किशोर ने पटना के गांधी मैदान से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रशांत किशोर ने अभ्यर्थियों के लिए कर रहे धरना प्रदर्शन में अपनी आगामी रणनीति को मीडियाकर्मियों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा कि "आज का दिन विरोध के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। 19 दिनों के लंबे संघर्ष के बाद विभिन्न छात्र संघों ने यह निर्णय लिया है कि अब हम सब मिलकर आंदोलन करेंगे।"
"युवा सत्याग्रह समिति" का गठन
उन्होंने घोषणा की कि 51 सदस्यीय "युवा सत्याग्रह समिति" बनाई गई है, जो अब इस आंदोलन का नेतृत्व करेगी। यह समिति विभिन्न छात्र संघों, बीपीएससी अभ्यर्थियों, और अन्य उन लोगों को शामिल करती है जो छात्रों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ हमेशा खड़े रहे हैं।
विरोध की दिशा बदली
पीके ने स्पष्ट किया कि यह हड़ताल अब केवल BPSC अभ्यर्थियों की समस्या तक सीमित नहीं रहेगी। अब यह आंदोलन बिहार में व्यापक बदलाव और छात्रों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "हमारे विचार भले अलग हों, लेकिन युवाओं और छात्रों के अधिकारों के लिए हम सब एकजुट हैं।"
गांधी के सिद्धांतों पर आंदोलन
उन्होंने कहा,"हम गांधी की मूर्ति के नीचे केवल बैठे नहीं हैं, बल्कि उनके बताए सत्याग्रह के रास्ते पर चल रहे हैं। परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, हम पीछे नहीं हटेंगे।" प्रशांत किशोर ने सरकार पर छात्रों के विरोध प्रदर्शनों पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया। उन्होंने विपक्षी नेताओं से अपील की। उन्होंने कहा कि "मैं तेजस्वी यादव से आग्रह करता हूं कि वे इस आंदोलन का नेतृत्व करें। उनके पास 70 विधायकों का समर्थन है। जब वे आएंगे, तो छात्रों की आवाज और मजबूत होगी।"
युवा एकजुट हों
प्रशांत किशोर ने बिहार के युवाओं से अपील की कि वे सभी एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ खड़े हों। उन्होंने कहा,"सरकार और प्रशासन को यह समझना होगा कि जो जीवन आज छात्र जी रहे हैं, कभी वही जीवन अधिकारियों ने भी जिया था। अब समय आ गया है कि इस अन्याय को खत्म किया जाए।"
संदेश विपक्ष और भाजपा को भी
उन्होंने भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, "अगर भाजपा नेता या अन्य दल के लोग छात्रों का समर्थन करते हैं, तो उनका स्वागत है। लेकिन सवाल यह है कि जब छात्रों पर लाठियां बरस रही थीं, तब उन्होंने चुप्पी क्यों साधी?"
पटना से अनिल की रिपोर्ट