PATNA – भवन निर्माण विभाग द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी के प्रदेश कार्यालय का आवंटन रद्द कर दिया है। साथ ही सात दिन में कार्यालय को खाली करने के लिए कहा है। वहीं भवन निर्माण विभाग के आदेश पर रालोजपा ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। पार्टी का आरोप है कि एक खास पार्टी को खुश करने के लिए नियमों के खिलाफ जाकर यह फैसला लिया गया है। पार्टी ने मांग की है कि इसमें मुख्यमंत्री हस्तक्षेप करें।
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने पार्टी के राज्य कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य कार्यालय का आवंटन रद्द करना भवन निर्माण के के द्वारा नियम संगत नहीं है एवं भवन निर्माण के द्वारा कार्यालय आवंटन रद्द करने का फैसला चुनाव आयोग एवं राज्य कैबिनेट के फैसले के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि पार्टी का आवंटन से संबंधित सभी मामला अभी न्यायालय में लंबित है उसके बावजूद भवन निर्माण विभाग के द्वारा चिट्ठी पर चिट्ठी लिखकर न्यायालय के फैसले का इंतजार करने के बजाय किसी के दबाव में पार्टी कार्यालय खाली करने का आदेश दे रहा है जो कहीं से भी न्याय संगत नहीं है। इस मामले में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से आग्रह किया कि वे स्वयं हस्तक्षेप कर पार्टी को न्याय दिलाएं।
उन्होंने कहा कि 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी के विभाजन के बाद रालोजपा को राज्य स्तरीय दल का दर्जा निर्वाचन आयोग से प्राप्त है। राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने कहा कि हमारी पार्टी रालोजपा निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार और भवन निर्माण विभाग के गाइडलाइन के तहत पटना में कार्यालय चलाने हेतू अधिकार रखती है।
नवीनीकरण का नियम खत्म तो कैसे जारी हुआ आदेश
उन्होंने आगे कहा कि भवन निर्माण विभाग के द्वारा पूर्व में इस बात का उल्लेख कर हमारे पार्टी का कार्यालय रद्द कर दिया था कि आपकी पार्टी ने कार्यालय का नवीनीकरण नहीं कराया है जबकि माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 31 जुलाई 2024 के राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी पार्टियों के कार्यालय के लिए नवीनीकरण कराने की नीति को समाप्त कर दिया गया था।
दुर्भावना से ग्रसित है भवन निर्माण का आदेश
भवन निर्माण विभाग के द्वारा आज हमारे पार्टी कार्यालय को एक पत्र प्राप्त कराया गया जिसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यालय पर अवैध कब्जा है जो पूरी तरह से दुर्भावना से ग्रसित है एवं हास्यस्पद है जबकि 2021 में पार्टी के टूटने के बाद अबतक चार साल होने चले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से कार्यालय से हमलोग चला रहे हैं जिसकी जानकारी हमारी पार्टी द्वारा पत्र के माध्यम से भवन निर्माण विभाग को समय समय पर अवगत भी कराया जा रहा है।
विगत साढ़े तीन साल तक भवन निर्माण के विभाग के नाक के नीचे हमारी पार्टी का कार्यालय चल रहा है यह विभाग को नहीं दिखा अब किसी खास राजनीति दल के दवाब में एक पार्टी को आवंटित किया गया और हमें अवैध बताया जा रहा है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने कहा कि देश के चुनाव आयोग और राज्य निर्वाचन आयेग के द्वारा जबतक मूल लोक जनशक्ति पार्टी का मामला भारत निर्वाचन आयोग में लंबित है, हमारी पार्टी को राज्य पार्टी का दर्जा दिया गया है। हमारी पार्टी के नेता लगातार निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन एवं चुनाव संबंधित बुलाई जा रही बैठकों में शामिल हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रालोजपा पार्टी अवैध रूप से रहती है जबकि चुनाव आयोग ने हमारी पार्टी को नाम एवं चुनाव चिन्ह देकर हमारी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को मान्यता दी और हमारी पार्टी का ही कार्यालय का यहां से लगातार संचालन हो रहा है लगातार बिजली बिल का भुगतान पार्टी कार्यालय के नाम से आ रहा है जिसका भुगतान भी पार्टी कार्यालय द्वारा ससमय किया जा रहा है।
परन्तु माननीय न्यायालय, चुनाव आयोग तथा बिहार सरकार के बिजली विभाग, टेलीफोन विभाग सबों को दरकिनार करते हुए भवन निर्माण विभाग के भ्रष्ट अफसर अपनी मनमानी करते हुए राजनीतिक दबाव में काम करते हुए हमारी पार्टी को लगातार नोटिस पर नोटिस भेजा जा रहा है।
अग्रवाल ने कहा कि भवन निर्माण विभाग को न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए और राजनीतिक दबाव को नजरअंदाज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार के द्वारा हमारी पार्टी को न्याय नहीं मिलता तो उनकी पार्टी के नेता व कार्यकर्ता जन आंदोलन का सहारा लेगें। इस अवसर पर पार्टी के कार्यालय प्रभारी राजेन्द्र विश्वकर्मा, राधाकान्त पासवान सहित अन्य नेता मौजूद थे।