Bihar News : बिहार में विधानसभा चुनाव भले ही करीब 10 महीने बाद होना है लेकिन उसके पहले ही तमाम सियासी दलों की चुनावी रणनीति बनने लगी है. इसमें कांग्रेस भी पीछे नहीं है. 18 जनवरी को जब राहुल गाँधी एक दिवसीय दौरे पर पटना आए तो उनके पूरे दिन के कार्यक्रम में कई ऐसी मुलाकात देखी गई जिसने सबको चौंका दिया.
कांग्रेस की ओर से पहले कहा था गया था राहुल का दौरा संविधान सुरक्षा सम्मेलन के सम्बोधन और कांग्रेस दफ्तर सदाकत आश्रम में कुछ भवनों के उद्घाटन से जुड़ा है. बाद में राहुल ने पटना आते ही पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और फिर शाम में राजद सुप्रीमो लालू यादव और उनके परिवारजनों से मुलाकात की. यह कांग्रेस के कई नेताओ को भी हैरान कर गया. वहीं सियासी जानकर इसे राहुल की कांग्रेस को लेकर बिहार की रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं.
लालू के बिना कांग्रेस कमजोर
आंकडे बताते हैं कि बिहार में कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर रही है. कांग्रेस ने राजद से अलग होकर फरवरी 2005 का विधानसभा चुनाव लड़ा तो सिर्फ 10 सीटों पर सफलता मिली. इसी तरह विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने पर कांग्रेस सिर्फ 4 सीटों पर सिमट गई. इसके अलग राजद के साथ विधानसभा चुनाव लड़ते हुए 2015 में कांग्रेस को 27 सीटों पर सफलता मिली जबकि 2020 में 19 सीट जीतने में कांग्रेस सफल रही. ऐसे में कांग्रेस का राजद के साथ रहना उसके लिए रास आते रहा है.
तेजस्वी के बयान से हड़कंप
तेजस्वी यादव ने पिछले दिनों कहा था कि विपक्ष का इंडिया गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था. लालू यादव ने तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी के उस बयान का समर्थन किया था जिसमें उन्होंने इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने की बात कही थी. लालू-तेजस्वी के इन बयानों से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था. यह बिहार विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती भी रही कि वह इंडिया गठबंधन को एकजुट रखने और खासकर बिहार में एनडीए से मुकाबला करने के लिए विपक्ष को एक साथ रखे.
राहुल ने निभाया रिश्ता
राहुल ने पटना आते ही पहले तेजस्वी यादव और फिर शाम में राबड़ी आवास जाकर लालू यादव से मुलाकात कर कांग्रेस और राजद के रिश्तों को बरकरार रखने का संदेश देने की कोशिश की. लालू-तेजस्वी के हाल के बयानों से ऐसा लगने लगा कि कांग्रेस से राजद अलग होकर चुनाव लड़ सकती है. इससे बिहार में वोटों का बंटवारा होता. सियासी जानकर कहते हैं कि राहुल ने एनडीए के खिलाफ विपक्ष को एक साथ रखने और वोटों के बिखराव को रोकने के लिए राबड़ी आवास जाकर लालू से मुलाकात की. भले ही अभी सीट बंटवारे पर बात नहीं हुई हो लेकिन यह भविष्य में दोनों दलों के साथ रहने का संदेश जरुर बन गया.
कांग्रेस के लिए लालू क्यों जरूरी
लालू यादव देश के उन वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं जो विपक्ष के कई नेताओं से अच्छे सम्बन्ध रखते हैं. ऐसे में इंडिया गठबंधन को एकजुट रखने के लिए ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, शरद पवार, स्टालिन जैसे नेताओं संग बेहतर मध्यस्थता करने में लालू की अपील कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. माना जा रहा है कांग्रेस नेता राहुल गाँधी बिहार के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर लालू यादव को साथ रखकर विपक्ष को एकजुट रखने के लिए बड़ा संदेश देना चाहते हैं.