Bihar Midnight Flag Hoisting:जब घड़ी ने 12 बजाए…गूंजा “भारत माता की जय”...बिहार के इस जिले में 1947 से आधी रात में तिरंगा फहराने की अनोखी परंपरा,परंपरा के पीछे की ये है कहानी
Bihar Midnight Flag Hoisting:आधी रात में गूंजा भारत माता की जय, बिहार के इस जिले में 1947 से आधी रात में तिरंगा फहराने की अनोखी परंपरा है,परंपरा के पीछे की कहानी रोंगटे खड़े करने वाली है..

Bihar Midnight Flag Hoisting:आज जब पूरा देश सूरज की पहली किरण के साथ तिरंगे को सलामी दे रहा है, बिहार का पूर्णिया जिला अपनी परंपरा से पूरे भारत को चौंका देता है। यहां आज़ादी का जश्न दिन के उजाले में नहीं, बल्कि रात की ख़ामोशी में गूंजता है। 14 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजकर एक मिनट पर पूर्णिया शहर के ऐतिहासिक झंडा चौक पर तिरंगा लहराया जाता है एक ऐसी परंपरा जो 1947 से अब तक अटूट है।
इस बार भी, 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, झंडा चौक जनसमुद्र में तब्दील हो गया। ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ के नारों से आसमान गूंज उठा। स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते, विपुल प्रसाद सिंह ने ध्वजारोहण कर इस परंपरा को निभाया। आसपास की गलियां तिरंगे के रंगों में नहाई हुई थीं और लोगों के हाथों में मिठास का प्रतीक जलेबियां थीं, जो एक-दूसरे को खिलाकर वे आज़ादी का जश्न मना रहे थे।
विपुल प्रसाद सिंह की आंखों में गर्व और भावुकता दोनों झलक रही थी। उन्होंने कहा, "यह परंपरा हमारे पूर्वजों के बलिदानों की जीवंत याद है। हर बार जब आधी रात को तिरंगा लहराता है, हमें आज़ादी की असली कीमत का एहसास होता है।"
इस परंपरा के पीछे की कहानी 1947 के गौरवशाली दिनों से जुड़ी है। उस वक़्त पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामनारायण साह और शमशुल हक अपने साथियों के साथ आज़ादी की घोषणा का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। जैसे ही रेडियो पर 14 अगस्त की रात 12 बजकर एक मिनट पर भारत के स्वतंत्र होने की घोषणा हुई, उन्होंने बिना देर किए भट्टा बाज़ार के झंडा चौक पर तिरंगा फहरा दिया। यही क्षण इतिहास बन गया और तब से यह परंपरा साल दर साल निभाई जा रही है।
समाजसेवी अनिल चौधरी ने भावुक स्वर में कहा, "हमारे वीर सपूतों ने अपनी जान न्यौछावर कर यह आज़ादी हमें दी। कितनी माताओं की मांग उजड़ गई, कितनी बहनों ने अपने भाई खो दिए, तब जाकर तिरंगा हमारे सिर पर लहराया।" उन्होंने यह भी बताया कि पूरे देश में रात्रि के समय ध्वजारोहण केवल दो जगह होता है एक बाघा बॉर्डर और दूसरा पूर्णिया का झंडा चौक।
इस अवसर पर शहर के कई गणमान्य लोग मौजूद थे सदर विधायक विजय खेमका, नगर निगम मेयर विभा कुमारी, भाजपा नेता व अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक, वार्ड पार्षद नवल जायसवाल समेत बड़ी संख्या में नागरिक। हर चेहरे पर गर्व की चमक थी और हर दिल में देशभक्ति का जज़्बा।
पूर्णिया का यह आधी रात का तिरंगा सिर्फ़ एक रस्म नहीं, बल्कि वह धड़कन है जो हमें हमारे अतीत से जोड़ती है, वर्तमान को प्रेरित करती है और आने वाली पीढ़ियों में देशप्रेम की लौ जलाए रखती है। यहां हर साल, रात के 12:01 पर, इतिहास अपने आप को दोहराता है और तिरंगे के साथ आसमान में गूंजता है "जय हिंद!"