PATNA - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कई योजनाएं ऐसी है। जिसे भारत के दूसरे राज्यों ने अपनाया है। इनके एक योजना है छात्राओं के बीच साइकिल वितरण योजना। जिसे अब विदेशों में भी लागू किया जा रहा है। बता दें कि बिहार की इस योजना को यूनाइटेड नेशंस भी अपनाया है और अफ्रीका के कुछ देशों में योजना को लागू करने के लिए फंड उपलब्ध कराया है।
2006 में शुरू की गई थी
बिहार में लड़कियों के बीच स्कूल जाने के प्रति रूचि जगाने के लिए नीतीश कुमार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2006 में योजना शुरू की थी। योजना के कारण बड़ी संख्या में लड़कियों का रूझान स्कूल की तरफ बढ़ा। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में मां-बाप अपनी बेटियों को स्कूल भेजने लगे। बिहार में इससे नारी शिक्षा को बढ़ावा देने और नारी सशक्तीकरण में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला है। जिसके बाद इस योजना को देश के दूसरे राज्यों ने भी अपनाया। अब यह विदेशों में भी लागू होने जा रहा है।
यूएन कर चुका है अध्ययन
बिहार की साइकिल योजना पर अमेरिका के एक प्रोफेसर ने अध्ययन किया और यूनाइटेड नेशंस को अपनी रिपोर्ट दी थी. वहीं यूनाइटेड नेशंस ने भी इस मॉडल को अपनाया है. शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि अब ये योजना जांबिया-माली में भी लागू हो रही है। शिक्षा के प्रति रुचि जगाने के लिए साइकिल स्कीम को लागू कराते हुए धनराशि भी उपलब्ध कराई गई है।
छात्राओं के बाद छात्रों के लिए शुरू की गई योजना
शिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने शिक्षा की मुख्यधारा से बालक-बालिकाओं को जोड़ने के लिए 2006-07 में पोशाक योजना शुरू की थी. इससे अभूतपूर्व कामयाबी मिली. बिहार में 2006 में नीतीश कुमार की पहल पर नौवीं कक्षा की लड़कियों के लिए साइकिल योजना शुरुआत की गई थी. साल 2009 में लड़कों के लिए भी साइकिल योजना शुरू की गई।