Bihar News:सासाराम की 6 साल की आब्या बनी नन्हीं घुड़सवार, बादल के संग रच रही है अपनी उड़ान की कहानी
Bihar News: इन दिनों एक नन्हीं सी आवाज़ गूंजती है—घोड़े की टापों की। और इन टापों के साथ आती है एक बालिका, जिसकी उम्र भले ही केवल छह वर्ष है, पर उसके हौसले, आत्मविश्वास और घोड़े से तालमेल देखकर लोग मंत्रमुग्ध रह जाते हैं।....

Bihar News: सासाराम की पुरानी गलियों में इन दिनों एक नन्हीं सी आवाज़ गूंजती है—घोड़े की टापों की। और इन टापों के साथ आती है एक बालिका, जिसकी उम्र भले ही केवल छह वर्ष है, पर उसके हौसले, आत्मविश्वास और घोड़े से तालमेल देखकर लोग मंत्रमुग्ध रह जाते हैं।नाम है आब्या, गौरक्षणी मोहल्ले की रहने वाली, और पेशे से—एक घुड़सवार!
जी हां, घुड़सवारी, वह भी इतनी नन्ही उम्र में, जब बच्चे अभी ठीक से साइकिल चलाना सीख रहे होते हैं। लेकिन आब्या के लिए साधारण से रास्ते कभी नहीं रहे। उसे चाहिए था कुछ अलग, कुछ ऊंचा, कुछ ऐसा जो दौड़ते समय पंखों जैसा लगे—और वह मिला उसे अपने घोड़े "बादल" के रूप में।
बादल उसकी सिर्फ सवारी नहीं, उसका साथी है। सुबह हो या शाम, जब मोहल्ले की गलियों में बच्चे मोबाइल में डूबे रहते हैं, तब आब्या लगाम थामे निकल पड़ती है अपने घोड़े के साथ मोहल्ले की परिक्रमा पर। कभी-कभी रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन की रफ्तार से होड़ लगाती दिखती है, जैसे कह रही हो—"मेरे सपनों की रफ्तार किसी इंजन से कम नहीं!
अब यह नन्हीं घुड़सवार सोशल मीडिया पर भी छा चुकी है। उसका वीडियो वायरल है—लोगों की निगाहें उस पर अटकी हैं। कोई कह रहा है, "छोटी रानी लक्ष्मीबाई", तो कोई "फ्यूचर वंडर वूमन"।
और क्यों न कहे? जब एक बच्ची घोड़े की लगाम इतनी नफासत से थाम ले, जब उसके चेहरे पर मुस्कान हो, आंखों में चमक और पीठ सीधी—तब वह केवल घुड़सवारी नहीं कर रही होती, वह अपने भविष्य की जमीन खुद तैयार कर रही होती है।
आब्या, तुम दौड़ो... बादल तुम्हारे नीचे है और सपने तुम्हारे साथ!
रिपोर्ट- रंजन सिंह