Bihar Teacher News: 30 शिक्षकों की नौकरी पर संकट,खुलने लगीं फर्जी नियुक्तियों की परतें ,जांच में बड़ा खुलासा, नाम भी जानिए

Bihar Teacher News: बिहार में शिक्षा महकमे में वर्षों से पल रहे भ्रष्टाचार और सेटिंग-गेटिंग की पोल अब धीरे-धीरे खुलने लगी है।30 शिक्षकों की नैकरी पर बन आई है।

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30 शिक्षकों की नौकरी पर संकट- फोटो : Meta

Bihar Teacher News: बिहार  में शिक्षा महकमे में वर्षों से पल रहे भ्रष्टाचार और सेटिंग-गेटिंग की पोल अब धीरे-धीरे खुलने लगी है। जिले में ऐसे सैकड़ों शिक्षक कार्यरत हैं, जो अवैध रूप से, नियमों को ताक पर रखकर और बिना वैध प्रक्रिया के बहाल किए गए हैं। इन शिक्षकों की बहाली में न कोई वैध विज्ञापन जारी हुआ, न मेरिट लिस्ट बनी और न ही कोई लिखित परीक्षा या साक्षात्कार का प्रमाण है। विभागीय और प्रशासनिक मिलीभगत से शिक्षकों को स्कूलों में नियुक्त कर दिया गया, मानो ये कोई निजी संस्थान हो।

हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में खेला गया फर्जीवाड़े का खेल

सीतामढ़ी के बथनाहा प्रखंड में वर्ष 2008 की शिक्षक बहाली की रिक्तियों को लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने आदेश दिया कि पात्र अभ्यर्थियों को प्रखंड शिक्षक के रूप में बहाल किया जाए। रिक्तियां मात्र तीन से चार थीं, लेकिन इसी आदेश की आड़ में अवैध नियोजन की साजिश रच दी गई।

प्रखंड की नियोजन इकाई ने हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में 30 ऐसे अभ्यर्थियों की भी नियुक्ति कर दी, जिनका न कोई नाम मेरिट में था और न ही कोई वैध दावा। यह नियुक्ति पूरी तरह से सेटिंग-गेटिंग के जरिये कर दी गई, जिसे बाद में विद्यालयों का आवंटन और योगदान भी दे दिया गया।

अपीलीय प्राधिकार के 'गलत आदेश' से बनी राह, लेकिन अब आई गाज

जब इस फर्जी बहाली पर सवाल उठे और वेतन भुगतान की मांग की गई, तो मामला डीपीओ, स्थापना तक पहुंचा। जब डीपीओ ने नियुक्तियों की वैधता से जुड़ी जानकारी मांगी, तो नियोजन इकाई ने कोई कागज नहीं दिया। डर था कि पूरा फर्जीवाड़ा उजागर हो जाएगा।बाद में लगातार दबाव के बीच डीपीओ ने राज्य अपीलीय प्राधिकार में अपील की। राज्य अपीलीय प्राधिकार ने जिला अपीलीय प्राधिकार के फैसले को खारिज कर दिया और साफ-साफ कहा कि 30 शिक्षकों की नियुक्ति पूरी तरह से अवैध है।

बहाली रद्द, बिना वेतन की छुट्टी

राज्य अपीलीय प्राधिकार के आदेश के बाद, जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) प्रमोद कुमार साहू ने बथनाहा के बीईओ को निर्देश दिया है कि 15 दिनों के भीतर सभी 30 शिक्षकों की नियोजन रद्द कर इसकी सूचना जिला को दें। विशेष बात यह है कि इन फर्जी शिक्षकों को एक दिन का भी वेतन नहीं मिलेगा।

इन शिक्षकों पर गिरा गाज

फर्जी नियुक्ति की सूची में शामिल हैं: शंभू दास, राम ईश्वर कुमार, अमित कुमार, मंसूर अंसारी, श्याम कुमार, मनीष कुमार, नूतन कुमारी, जय प्रकाश पाण्डेय, मुकेश बैठा, वीरेन्द्र कुमार, रविशंकर कुमार, शैलेन्द्र मोहन, प्रणिता कुमारी, मिली कुमारी, धीरेन्द्र कुमार, दीप्ति कुमारी, रूपा कुमारी, शंभू प्रकाश कुमार गुप्ता, शिवशंकर सुभाष कुमार, पल्लवी कुमारी, सुनीता कुमार, संतोष कुमार सिंह, सुधीर कुमार सिंह, नीतू देवी, पुष्पांजलि कुमारी, कुमारी आदित्य सौरभ, सुबोध कुमार, रचना कुमारी आदि।

सवालों के घेरे में पूरा सिस्टम

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि जिले में शिक्षा महकमे में भ्रष्टाचार कितनी गहराई तक फैला है। सवाल यह है कि आखिर कैसे बिना किसी वैध प्रक्रिया के, इतनी बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति हो गई और कोई अधिकारी पकड़ नहीं पाया? क्या ये सब कुछ बिना राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण के मुमकिन था?

आगे क्या?

इस मामले ने एक बार फिर यह मांग तेज कर दी है कि सीतामढ़ी सहित बिहार भर में फर्जी नियुक्तियों की CBI जांच कराई जाए। अगर अब भी सरकार और प्रशासन नहीं चेता, तो शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी और योग्य व असली अभ्यर्थी यूं ही दर-दर भटकते रहेंगे।