Bihar News: 'हिंदी केवल भाषा नहीं संस्कारों और विचारों की जननी', सिवान में “हिंदी पखवाड़ा 2025” का शुभारंभ

Bihar News: कार्यक्रम में कई विद्वानों ने हिंदी के महत्व और उपयोगिता पर अपने विचार रखे। डीएवी कॉलेज, सिवान के अवकाशप्राप्त प्राध्यापक डॉ. रविन्द्र कुमार पाठक ने हिंदी के अनुष्वर और इसके कालखंडों पर चर्चा की।

Hindi Pakhwada 2025
Hindi Pakhwada 2025- फोटो : social media

Bihar News: सिवान के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में सोमवार को “हिंदी पखवाड़ा 2025” का शुभारंभ हुआ। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और शिक्षा संस्कृति उत्थान संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का थीम “हिंदी : राष्ट्रीय एकता और वैश्विक पहचान की ताकत”रहा।

समारोह की शुरुआत भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई। अध्यक्षीय अभिभाषण में संस्थान के प्राचार्य डॉ. एस. पी. सिंह ने हिंदी को केवल भाषा नहीं, बल्कि संस्कारों और विचारों की जननी बताते हुए इसकी मौलिकता पर जोर दिया। कार्यक्रम में कई विद्वानों ने हिंदी के महत्व और उपयोगिता पर अपने विचार रखे। डीएवी कॉलेज, सिवान के अवकाशप्राप्त प्राध्यापक डॉ. रविन्द्र कुमार पाठक ने हिंदी के अनुष्वर और इसके कालखंडों पर चर्चा की। 

जेड ए इस्लामिया के डॉ. अशोक प्रियंवद ने हिंदी के हजारों वर्षों के इतिहास और इसकी विरासत को आगे बढ़ाने की बात कही। विद्या भवन महिला महाविद्यालय की विभागाध्यक्ष डॉ. पूजा तिवारी ने हिंदी को गौरव की भाषा बताते हुए इससे जुड़े रोजगार और बेहतर भविष्य पर प्रकाश डाला। वहीं, कमला राय महाविद्यालय, गोपालगंज के विभागाध्यक्ष डॉ. श्याम शरण ने हिंदी की सार्थकता और उपयोगिता पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।

इस मौके पर डॉ. मनोज कुमार और नागेंद्र राय ने भी अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया महादेवा शाखा के प्रबंधक उमेश नंदन वर्मा, क्षेत्रीय संयोजक आशुतोष कुमार, बैकुंठ शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापिका प्रियंका सिंह और अभिजीत कुमार सहित बड़ी संख्या में प्रशिक्षु मौजूद रहे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्येंद्र कुमार पांडेय ने किया, जिनकी प्रशंसा अतिथियों ने की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ओंकार नाथ मिश्र ने दिया। मौके पर संस्थान के व्याख्याता सीतांशु कुमार, संजय कुमार सिंह, विश्वामित्र मिश्र, नवीन कुमार, डॉ. राजीव कुमार सिंह और डॉ. रामकृष्ण सिंह भी उपस्थित रहे।