Bihar bridge construction: सरयू पर 28 नहीं, अब 47 पिलरों पर खड़ा होगा नया पुल, सिवान से पूर्वांचल की दूरी 100 किमी होगी कम, सरपट दौड़ेंगी गाड़ियां

Bihar bridge construction: सरयू नदी पर बिहार और यूपी को जोड़ने वाला चांदपुर–गभीरार पुल अब नई इंजीनियरिंग और नई मजबूती के साथ बनने जा रहा है। जहां पहले यह पुल 28 पिलरों पर डिज़ाइन हुआ था, वहीं...

Bihar bridge construction
सिवान से वाराणसी-आजमगढ़ की दूरी होगी कम- फोटो : social Media

Bihar bridge construction: सरयू नदी पर बिहार और यूपी को जोड़ने वाला चांदपुर–गभीरार पुल अब नई इंजीनियरिंग और नई मजबूती के साथ बनने जा रहा है। जहां पहले यह पुल 28 पिलरों पर डिज़ाइन हुआ था, वहीं लगातार हो रही कटान, बाढ़ की मार और नदी की बदलती धारा ने इसकी रूपरेखा बदलने पर मजबूर कर दिया। रुड़की की तकनीकी टीम के सर्वे के बाद स्पष्ट हुआ कि पुल की स्थिरता और सुरक्षा के लिए 24 अतिरिक्त पिलरों की जरूरत है। यानी अब कुल 47 पिलर जिन पर यह सेतु और ज्यादा मजबूत, टिकाऊ और सुरक्षित होगा। इसी के साथ पुल बनने के बाद सिवान से यूपी की दूरी करीब 100 किमी कम हो जाएगी, जो पूरे क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।

2016 में रखी गई आधारशिला के बाद उम्मीद थी कि यह परियोजना जून 2024 तक पूरी हो जाएगी, लेकिन सरयू नदी की कटान ने वर्षों की मेहनत पर बार-बार पानी फेर दिया। कभी अप्रोच धंस गया, कभी धारा बदल गई, और कभी नया बांध बनाने की जरूरत पड़ रही है। यही वजह है कि आठ साल बाद भी यह पुल अधूरा खड़ा है। नदी के मूड को देखते हुए अब 1275 मीटर लंबे पुल को बढ़ाकर 2550 मीटर करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही नया निर्माण फिर तेज़ी पकड़ेगा।

इस बदलाव के साथ लागत भी दोगुनी के करीब पहुंच गई है। पहले जहां पुल के लिए 198 करोड़ का प्रावधान था, वहीं अब गाइड बांध और सड़क चौड़ीकरण पर 100 करोड़ अतिरिक्त खर्च होंगे। कुल लागत अब बढ़कर लगभग 512 करोड़ की ओर बढ़ रही है। गाइड बांध की डिजाइन बीएचयू–आईआईटी टीम तैयार कर रही है। बिहार की तरफ से बनने वाले संपर्क मार्ग के लिए राज्य सरकार ने राशि जारी भी कर दी है, लेकिन स्थानीय भूगोल की चुनौतियां अभी भी इस परियोजना की राह में सबसे बड़ी दीवार बनी हुई हैं।

फिर भी उम्मीद बाकी है। पुल बनने के बाद न सिर्फ सिवान, बल्कि छपरा के लोगों को बलिया, वाराणसी, आजमगढ़ जैसे यूपी के बड़े शहरों तक पहुंचने में जबरदस्त सहूलियत मिलेगी। यह पुल सिर्फ लोहे–सीमेंट का ढांचा नहीं होगा, बल्कि बिहार–यूपी की कनेक्टिविटी को नई सांस देने वाला भविष्य का सेतु बनकर खड़ा होगा।