Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में सिवान के वीर जवान रामबाबू कुमार सिंह ने दी शहादत, बुधवार को होगा अंतिम संस्कार, CM नीतीश ने जताया शोक

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के ड्रोन हमले में सिवान के वसीलपुर गांव के जवान रामबाबू कुमार सिंह शहीद हो गए।

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Operation Sindoor- फोटो : SOCIAL MEDIA

Operation Sindoor: भारत-पाकिस्तान सीमा पर चल रहे ऑपरेशन सिंदूर के तहत जब भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को तबाह किया, तब पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में सीमा पर गोलीबारी और ड्रोन हमले शुरू कर दिए। इस क्रूर हमले में बिहार के सिवान जिले के जीबी नगर थाना क्षेत्र स्थित वसीलपुर गांव के वीर जवान रामबाबू कुमार सिंह शहीद हो गए।

यह दुखद घटना सोमवार, 12 मई 2025 की दोपहर को जम्मू-कश्मीर सीमा क्षेत्र में हुई, जब पाकिस्तान द्वारा किया गया ड्रोन हमला सीधे भारतीय चौकी को निशाना बना गया। उसी चौकी पर तैनात थे रामबाबू कुमार सिंह, जो शौर्य और समर्पण की मिसाल बन गए।

गांव में मातम छा गया

उनके बलिदान की खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया, और सैकड़ों ग्रामीण उनके घर पहुंचकर शोकाकुल परिवार को ढाढ़स बंधाते नजर आए। शहीद रामबाबू सिंह की शादी दिसंबर 2024 में धनबाद में हुई थी, और शादी को अभी मात्र पांच महीने ही हुए थे। उनके पिता रामविचार सिंह, जो हरिहरपुर पंचायत के पूर्व उप मुखिया थे, का निधन पिछले वर्ष हुआ था।

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परिवार के छोटे पुत्र थे रामबाबू

रामबाबू अपने परिवार के छोटे पुत्र थे। उनके बड़े भाई अखिलेश कुमार सिंह झारखंड में रेलवे में लोको पायलट के पद पर कार्यरत हैं। बताया गया कि रामबाबू छुट्टी समाप्त होने के बाद 10 अप्रैल को ही जम्मू-कश्मीर ड्यूटी पर लौटे थे, और एक महीने बाद ही देश के लिए बलिदान दे बैठे।

बुधवार सुबह होगा अंतिम संस्कार

रामबाबू के पार्थिव शरीर को बुधवार सुबह जम्मू-कश्मीर से आर्मी कैंप पटना लाया जाएगा, जहां से उनके पैतृक गांव वसीलपुर लाया जाएगा। स्थानीय प्रशासन और सेना के अधिकारी उनके अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान के साथ शामिल होंगे। गांव में फिलहाल शोक और गर्व का मिला-जुला माहौल है।

पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा

उनकी पत्नी अंजली कुमारी, जो अब विधवा हो चुकी हैं, का रो-रोकर बुरा हाल है। पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है, और हर कोई उनके असमय बलिदान पर दुःखी है, लेकिन साथ ही उनके साहस और देशभक्ति पर गर्व भी कर रहा है।गांववालों ने बताया कि रामबाबू बचपन से ही देश सेवा के सपने देखते थे। उनकी शहादत ने यह सिद्ध कर दिया कि देशभक्तों की कोई उम्र नहीं होती, वे हर परिस्थिति में अपनी मिट्टी के लिए सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार रहते हैं।