मंगलवार, 19 नवंबर को अगहन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। जब मंगलवार को ये तिथि आती है तो इसे अंगारक चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस दिन गणेश जी के साथ ही हनुमान जी और मंगल ग्रह की पूजा की जाती है। चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी है, क्योंकि इसी तिथि पर गणेश जी का अवतार हुआ था। मंगलवार का कारक ग्रह मंगल है और इस वार को हनुमान जी का अवतार हुआ था। इन 3 कारणों से 19 नवंबर की चतुर्थी बहुत खास हो गई है। जानिए इस तिथि पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं।
19 तारीख की सुबह सूर्य पूजा के बाद घर के मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा में गणेश जी के सामने चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद दिनभर निराहार रहें। जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें त्याग करना चाहिए। अगर भूखे रहना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं, दूध पी सकते हैं। भगवान गणेश के मंत्र ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। शाम को चंद्र के दर्शन करें, गणेश पूजन करें। इसके बाद व्रत खोल सकते हैं।
मंगलवार और चतुर्थी के योग में मंगल ग्रह की विशेष पूजा करने से कुंडली के मंगल दोष शांत होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में मांगलिक दोष है, उन्हें हर मंगलवार मसूर की दाल दान करने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जाती है। मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है, इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। लाल गुलाल, लाल वस्त्र और लाल मसूर की दाल अर्पित करें। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। धूप-दीप जलाएं। मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ अंगारकाय नम: मंत्र का जप करें।
मंगलवार को ही हनुमान जी प्रकट हुए थे। इसलिए इस वार को हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करें। आप चाहें तो हनुमान जी आराध्य श्रीराम के नाम का जप भी कर सकते हैं।
शास्त्रों के मुताबिक, मंगल ग्रह भूमि यानी पृथ्वी माता के पुत्र हैं। मंगल का रंग लाल माना जाता है। ये ग्रह मेष और वृश्चिक का स्वामी है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल से जुड़े दोष हैं, उन्हें भूमि संबंधी कामों में आसानी से सफलता नहीं मिलती है। अशुभ मंगल के कारण व्यक्ति ठीक से नेतृत्व नहीं कर पाता है। ये ग्रह हमारे शरीर में रक्त में वास करता है, अगर कुंडली में मंगल की स्थिति ठीक नहीं है तो व्यक्ति को रक्त से जुड़ी बीमारी होने की संभावना रहती है।
मंगल ग्रह के दोष दूर करने के लिए हर मंगलवार शिवलिंग की लाल चीजों से पूजा करनी चाहिए, क्योंकि मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में ही की जाती है। मंगल का जन्म स्थान मध्य प्रदेश का उज्जैन माना जाता है। यहां मंगल ग्रह के दो मंदिर हैं मंगलनाथ और अंगारेश्वर महादेव। इन दोनों मंदिरों में मंगल ग्रह की पूजा की जाती है।