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Bihar News : बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर फिर दी गई बकरे की बलि, एक दिन पहले हुआ था हंगामा, जानिए देवी पूजन में क्यों दी जाती है बलि

जगदंबा स्थान मंदिर में बुधवार को एक बार फिर से पशु बलि दी गई. मंदिर में दी गई बलि को लेकर भी किसी ने कोई विरोध या आपत्ति नहीं जताई. इस दौरान बलि देने से खुश श्रद्धालुओं ने जमकर जयकारे लगाए.

Bala Tripura Sundari Temple Barhiya
Bala Tripura Sundari Temple Barhiya/ Goat sacrificed - फोटो : Social Media

Bihar News : बिहार के लखीसराय जिला स्थित बड़हिया के जगदंबा स्थान मंदिर में बुधवार को एक बार फिर से पशु बलि दी गई.  बड़हिया का बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर श्रद्धालुओं के बीच जगदंबा स्थान के नाम से लोकप्रिय है. 26 नवंबर यानी मंगलवार को एक स्थानीय युवती द्वारा श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाली पशु बलि को लेकर काफी हंगामा किया गया. हंगामे के सूचना के बाद पुलिस ने युवती को समझाया. वहीं बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं का यह मत था कि बलि देने से रोकना अनुचित है. वहीं एक वर्ग बलि प्रथा पर रोक लगाने का पक्षधर है. इसी को लेकर बुधवार को मंदिर में एक बैठक भी आयोजित की गई लेकिन इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ. वहीं मंदिर में दी गई बलि को लेकर भी किसी ने कोई विरोध या आपत्ति नहीं जताई. इस दौरान बलि देने से खुश श्रद्धालुओं ने जमकर जयकारे लगाए. 


बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर बड़हिया सफेद संगमरमर से निर्मित 151 फीट ऊंचा एक शिखरबद्ध मंदिर है जिसके गुंबद पर स्वर्ण कलश दूर से ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. यहां देवी पिंडी स्वरूप में हैं. माना जाता है कि जम्मू कश्मीर के कटरा में मां वैष्णो देवी के संस्थापक श्रीधर ओझा के द्वारा ही इनकी स्थापना की गई थी. मंदिर का गर्भगृह जमीन से लगभग 12 फीट ऊंचा है. मंगलवार और शनिवार को मंदिर में हर दिन हजारों देवी भक्त पूजा के लिए आते हैं. नवरात्रियों के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. इसके साथ ही मंगलवार और शनिवार को मुख्य रूप से पशु बलि भी दी जाती है. 

एक युवती का विरोध 

बड़हिया के  वार्ड संख्या 11 निवासी रविन्द्र सिंह की पुत्री अदिति कुमारी बीते कुछ महीनों से पशु बलि पर पूर्ण विराम लगाए जाने को लेकर लगातार संपर्क कर रही हैं. हालांकि कुछ श्रद्धालुओं का यह भी कहना है कि वह जबरन अपनी जिद थोपना चाहती है. शाक्त परम्परा में देवी पूजन में बलि का विधान है. ऐसे में अगर पूजन पद्धतियों को शास्त्र सम्मत ही रहने देना चाहिए. 


क्या कहता है दुर्गा सप्तसती :

दुर्गा सप्तसती के श्लोकों में देवी पूजन के दौरान बलिदान का जिक्र आता है. जैसे - 

बलिप्रदाने पूजायामग्निकार्ये महोत्सवे।

सर्वं ममैतच्चरितमुच्चार्यं श्राव्यमेव च॥१०॥

अर्थात् बलिदान, पूजा, होम तथा महोत्सव के अवसरों पर मेरे इस चरित्र का पूरा - पूरा पाठ और श्रवण करना चाहिये ॥१०॥

जानताऽजानता वापि बलिपूजां तथा कृताम्।

प्रतीच्छिष्याम्यहं* प्रीत्या वह्निहोमं तथा कृतम्॥११॥

अर्थात् - ऐसा करने पर मनुष्य विधि को जानकर या बिना जाने भी मेरे लिये जो बलि, पूजा या होम आदि करेगा, उसे मैं बड़ी प्रसन्नता के साथ ग्रहण करूँगी ॥११॥


प्रमुख देवी मंदिरों में दी जाती है बलि 

भारत के कई प्रमुख देवी मंदिरों में बलि दी जाती है. असम में कामाख्या देवी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यहां माता सती की योनि आकर गिरी थी. इस मंदिर को विश्वभर में तंत्र विद्या के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यहां प्रतिदिन बलि दी जाती है. कालीघाट मंदिर,कोलकाता में भक्तों द्वारा देवी काली को प्रसाद के रूप में बकरा चढ़ाया जाता है. बकरे की बलि के बाद उसके मांस को भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. मुनियांदी स्वामी मंदिर तमिलनाडु के मदुरई में स्थित में स्थित है.यहां हर साल एक तीन दिवसीय वार्षिक आयोजन होता है जिसमें भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बिरयानी और चिकन दी जाती है.


कमलेश की रिपोर्ट

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