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कौवे का छत पर बैठकर बोलना मेहमान का आगमन या अशुभ संकेत? जानें धार्मिक मान्यताएं और ज्योतिषीय व्याख्या

भारतीय परंपराओं में पशु-पक्षियों को शुभ-अशुभ संकेतों से जोड़ा गया है। खासकर कौवा, जिसे पितरों का प्रतीक माना जाता है, उसके छत या आंगन में बैठने और बोलने को लेकर कई धार्मिक और ज्योतिषीय धारणाएं प्रचलित हैं।

कौवा का छत पर बैठना

पौराणिक ग्रंथों और परंपराओं के अनुसार, कौवा केवल एक पक्षी नहीं बल्कि महत्वपूर्ण संकेतों का वाहक माना जाता है। पितृ पक्ष में कौवे को पितरों का प्रतिनिधि मानकर भोजन कराया जाता है, जो पितृ दोष को खत्म करने का उपाय समझा जाता है। कौवे का छत पर बैठकर बोलना आम दिनों में भी शुभ और अशुभ दोनों का प्रतीक हो सकता है, जिसे दिशा और स्थिति के अनुसार समझा जाता है।


मेहमान के आगमन का संकेत

हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार, कौवे का छत या आंगन में बैठकर आवाज करना अक्सर मेहमानों के आगमन का संकेत होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। यदि कौवा पूर्व या पश्चिम दिशा में बैठकर बोलता है, तो यह किसी प्रिय व्यक्ति या मित्र के आने का सूचक हो सकता है।


दक्षिण दिशा में बोलना अशुभ

हालांकि, दक्षिण दिशा में कौवे का बैठकर आवाज करना ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अशुभ माना जाता है। इसे पितृ दोष और घर में आने वाली विपदाओं का संकेत बताया गया है। पंडित श्रीधर शास्त्री का कहना है कि अगर ऐसा हो तो तुरंत कौवे को वहां से उड़ा दें और हवन या शांति पाठ कराएं ताकि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म हो सके।


पितृ दोष और कौवे का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में कौवे को भोजन कराना पितरों को तृप्ति देने और कुंडली से पितृ दोष दूर करने का तरीका है। आम दिनों में भी कौवे को भोजन देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद के लिए कौवे का आना एक सकारात्मक संकेत माना जाता है।


क्या करें जब कौवा अशुभ संकेत दे?

यदि कौवा दक्षिण दिशा में बैठकर बोलता है या कोई अशुभ संकेत देता है, तो इस स्थिति में कुछ उपाय करने चाहिए:

कौवे को बिना नुकसान पहुंचाए वहां से हटा दें।

घर में वैदिक मंत्रों के साथ हवन कराएं।

पितृ दोष निवारण के लिए पूजा या धार्मिक अनुष्ठान करें।

घर के वातावरण को सकारात्मक बनाए रखने के लिए नियमित सफाई और पूजा करें।


कौवे का छत या आंगन में बैठना केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखता है। इसके व्यवहार को सही दिशा और संदर्भ में समझने की आवश्यकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जहां यह मेहमानों के आगमन का प्रतीक हो सकता है, वहीं अशुभ संकेतों की स्थिति में सतर्कता और उपाय जरूरी हैं।

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