कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगी। वहीं, पूर्णिमा तिथि का समापन 16 नवंबर सुबह 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, देव दीपावली पर प्रदोष काल मुहूर्त 15 नवंबर को शाम 5 बजकर 10 मिनट से लेकर 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। ऐसे में पूजा के लिए कुल 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा।
हिंदू धर्म में देव दीपावली एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा की रात में सभी देवी-देवताएं गंगा घाट पर दीपावली मनाते हैं। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था। इसकी वजह से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल देव दीपावली पर कुछ दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। चलिए उसके बारे में जानते हैं।
देव दीपावली के दिन चंद्रमा वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे, जिससे गुरु की युक्ति से गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ के साथ मिलकर शश राजयोग, शुक्र और गुरु एक दूसरे की राशि में परिवर्तन से राजयोग बना रहा है। वहीं मंगल के कर्क राशि में स्थित होकर मीन राशि में राहु के साथ नवपंचम राजयोग का निर्माण कर रहा है। ये दुर्लभ योग कुछ राशियों के लिए विशेष लाभकारी हो सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक, इस बार देव दीपावली पर मंगलकारी वरीयान योग का निर्माण हो रहा है। यह योग 15 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा। इस दौरान जो जातक सच्चे मन से भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करेंगे, उनके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली का प्रसार होता है। सनातन धर्म के विद्वानों के अनुसार, इस बार देव दीपावली पर भद्रावास योग भी लग रहा है। इसके समापन का समय शाम 4 बजकर 37 मिनट होगा। कहते हैं कि इस वक्त भद्रा स्वर्ग लोक में रहेगी। शास्त्रों में कहा गया है कि जब भद्रा, स्वर्ग या पाताल लोक में रहती है तो पृथ्वी के समस्त जीवों का भाग्य चमक जाता है।