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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के दिन जानिए इससे जुड़ी 5 पौराणिक कथाएं, जो सिखाती हैं जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक...

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति से जुड़ी पैराणिक कथाएं हमे जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक सिखाती है, आइए इन कथाओं को आज जानते हैं...

Makar Sankranti
5 mythological stories related to Makar Sankranti- फोटो : प्रतिकात्मक

Makar Sankranti 2025:  14 जनवरी 2025 यानी आज देश भर में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण का आरंभ होता है। मान्यता है कि इस दिन से सूर्य देव की कृपा बरसती है और नए साल की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है और आपसी भाईचारा बढ़ाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और उपहार देते हैं। मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जो इस त्योहार के महत्व को और अधिक बढ़ाती हैं। आइए कुछ प्रमुख कथाओं पर नजर डालते हैं। 

1. सूर्य देव और शनि देव की कथा

एक कथा के अनुसार, सूर्य देव और शनि देव में मतभेद हो गया था। सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव को श्राप दे दिया था। इस श्राप के कारण शनि देव को बहुत कष्ट उठाना पड़ा। बाद में सूर्य देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने शनि देव से क्षमा मांगी। शनि देव ने सूर्य देव को क्षमा कर दिया और उसी दिन से सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करने लगे। इस कथा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव और शनि देव का मिलन होता है और इसी दिन से सूर्य देव की कृपा बरसती है।

2. भगीरथ और गंगा की कथा

राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए गंगा नदी को धरती पर लाया था। गंगा नदी इतनी शक्तिशाली थी कि धरती को नष्ट कर सकती थी। इसलिए भगवान शिव ने गंगा नदी को अपने जटाओं में बांध लिया। बाद में भगीरथ के अनुरोध पर भगवान शिव ने गंगा नदी को धरती पर छोड़ दिया। इस कथा के अनुसार गंगा नदी मकर संक्रांति के दिन ही धरती पर आई थी। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

3. भगवान विष्णु का वामन अवतार

भगवान विष्णु ने असुर राजा बलि को धोखा देकर पाताल लोक भेज दिया था। बलि ने भगवान विष्णु से तीन पग भूमि मांगी थी। भगवान विष्णु ने तीन पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। कुछ मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने मकर संक्रांति के दिन ही बलि को पाताल लोक भेजा था।

4. सूर्य देव का रथ

एक कथा के अनुसार, सूर्य देव का रथ सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है। खरमास के दौरान सूर्य देव के रथ में खर जुड़े रहते हैं जिसके कारण सूर्य देव की गति धीमी हो जाती है। मकर संक्रांति के दिन खर दूर हो जाते हैं और सातों घोड़े रथ को खींचने लगते हैं जिससे सूर्य देव की गति बढ़ जाती है। इस कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव की गति बढ़ने लगती है और दिन लंबे होने लगते हैं।

5. यशोदा और श्रीकृष्ण की कथा

 माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए मकर संक्रांति का व्रत रखा था। इस कथा के अनुसार, मकर संक्रांति का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इन कथाओं के अलावा भी मकर संक्रांति से जुड़ी कई अन्य कथाएं हैं। इन कथाओं का उद्देश्य लोगों को धर्म और संस्कृति से जोड़ना है।

मकर संक्रांति की कथाओं का आध्यात्मिक महत्व

मकर संक्रांति से जुड़ी कथाएं न केवल मनोरंजक होती हैं बल्कि इनमें गहरा आध्यात्मिक महत्व भी छिपा होता है। ये कथाएं हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं। आइए इनके कुछ आध्यात्मिक महत्वों पर नजर डालते हैं। अधिकांश कथाओं में अच्छाई और बुराई की लड़ाई को दर्शाया गया है। जैसे कि भगवान विष्णु का असुरों पर विजय, यह हमें सिखाता है कि बुराई हमेशा पराजित होती है और अच्छाई की जीत होती है। भगीरथ की कथा हमें धैर्य और दृढ़ता का महत्व सिखाती है। उन्होंने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए कठिन तपस्या की और अंततः सफल हुए। कथाएं हमें यह भी सिखाती हैं कि हमारे कर्मों का फल हमें अवश्य मिलता है। सूर्य देव और शनि देव की कथा इस बात का प्रमाण है।  इन कथाओं में ईश्वर की शक्ति को दर्शाया गया है। भगवान विष्णु, शिव और अन्य देवताओं ने अपनी शक्ति से असंभव को संभव किया है।

कथाओं का महत्व

कुछ कथाएं समाज सुधार का संदेश देती हैं। जैसे कि भगवान विष्णु का वामन अवतार, जो अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए लिया गया था।  कई कथाएं प्रकृति के महत्व को दर्शाती हैं। जैसे कि गंगा नदी का धरती पर आना। यह हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है।  ये कथाएं हमें आध्यात्मिक विकास की ओर प्रेरित करती हैं। हमें सिखाती हैं कि हमें अपने अंदर के देवता को जगाना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए।

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