दीपावली की शुरुआत आज धनतेरस के साथ हो गई है। कल छोटी दीपावली मनाई जाएगी। इसके बाद 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। दीपावली के दिन लोग अपने घरों में दीप, कैंडल लाइटनिंग और पटाखे फोड़ते हैं। एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि दीपावली के दिन माता लक्ष्मी भगवान गणेश के साथ ही कुछ ऐसे विशेष पूजा की जाती है जो आपके पितरों को समर्पित हो। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पितृदोष से पीड़ित लोग दीपावली पर कुछ ऐसा उपाय कर सकते हैं, जिससे उनको मुक्ति मिल सकती है।
पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या की रात पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का चौमुखा दीया जलाएं। यह दीया पितृ, पितामह, और पर-पितामह के नाम से जलाना चाहिए। इसके साथ ही पितरों के नाम से अन्न, वस्त्र, और जल का दान अवश्य करें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। प्रदोष काल में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद पितृसूक्त का पाठ भी अवश्य करें। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितर प्रसन्न होते हैं।
यदि आप अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं तो दिवाली वाले दिन गरीबों को वस्त्र दान में दें। इससे पितरों का आप पर आशीर्वाद बना रहेगा। सर्दियों में गरम कपड़े भी जरूरतमंदों को दान कर सकते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए दिवाली वाले दिन शाम को गंगा के किनारे 16 दीपक जलाएं। यदि आप गंगा तक नहीं जा सकते हैं तो आप पीपल के पेड़ के नीचे भी 16 दीपक जला सकते हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है। दिवाली के महापर्व पर पितरों की कृपा पाने के लिए जरूरतमंदों को अन्न और जल दान करें। ब्राह्मणों को भोजन भी करवाएं। इससे पितरों का आपके प्रति क्रोध कम होगा। वे आपसे प्रसन्न होंगे। सूर्यास्त के बाद के 3 घंटे प्रदोष काल रहता है। इस दौरान देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद आप पितरों की पूजा करें। प्रदोष काल में पितरों की पूजा करने से आपके जीवन में लंबे समय से बनी हुई समस्याएं खत्म हो जाएंगी। आपके मानसिक और शारीरिक कष्ट भी कम हो जाते हैं।