Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का पहला दिन आज, जानें कलश स्थापना और पूजा की शुभ मुहूर्त, इस मंत्र का करें जाप

Navratri 2025:नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है। इसके बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस बार प्रतिपदा तिथि सुबह से रात 01:19 बजे तक रहेगी।

Navratri 2025
Navratri 2025- फोटो : social media

Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का आज पहला दिन है। पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का आगमन इस बार हाथी पर हुआ है, जो उन्नति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर महा नवमी 1 अक्टूबर तक चलेगी और 2 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ संपन्न होगी। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। 

पहले दिन शैलपुत्री की आराधना

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना का विशेष महत्व है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री मां शैलपुत्री वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल रहता है। मान्यता है कि मां की पूजा करने से भक्तों को साहस, पवित्रता और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

कलश स्थापना का मुहूर्त

प्रातःकालीन ब्रह्म मुहूर्त : 04:35 बजे से 05:22 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त (विशेष) : 11:36 बजे से 12:24 बजे तक

निशिता मुहूर्त : रात 11:50 बजे से 12:38 बजे तक

विशेषज्ञों के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त को कलश स्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

चौघड़िया के अनुसार शुभ समय

अमृत मुहूर्त : 06:09 से 07:40 बजे तक

शुभ मुहूर्त : 09:11 से 10:43 बजे तक

चर मुहूर्त : 01:45 से 03:16 बजे तक

लाभ मुहूर्त : 03:16 से 04:47 बजे तक

अमृत मुहूर्त : 04:47 से 06:18 बजे तक

चर मुहूर्त : 06:18 से 07:47 बजे तक

लाभ मुहूर्त : 10:45 से 12:14 बजे तक

शुभ मुहूर्त (रात्रि) : 01:43 एएम से 03:12 एएम (23 सितंबर)

अमृत मुहूर्त : 03:12 एएम से 04:41 एएम (23 सितंबर)

चर मुहूर्त : 04:41 एएम से 06:10 एएम (23 सितंबर)

नवरात्रि के पहले दिन की पूजन विधि

प्रातः स्नान और वस्त्र : सूर्योदय से पहले स्नान कर हल्के और शुद्ध वस्त्र धारण करें।

पूजन स्थल की तैयारी : गंगाजल से शुद्धिकरण कर चौकी पर माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

कलश स्थापना : विधिपूर्वक कलश स्थापना करें, इसे नवरात्रि पूजा का मुख्य अंग माना जाता है।

मंत्र जप और ध्यान : “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जप करें और स्तुति का पाठ करें।

षोडशोपचार पूजन : जल, पुष्प, धूप, दीप, गंध और नैवेद्य अर्पित कर माता का पूजन करें।

फूल और कुमकुम : विशेष रूप से सफेद या पीले फूल अर्पित करें और कुमकुम से तिलक करें।

दीप-धूप : पांच दीपक जलाकर वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाएं।

आरती और पाठ : मां की आरती करें और दुर्गा चालीसा, सप्तशती या स्तुति का पाठ करें।

भोग और प्रसाद : मां को गाय के घी से बनी खीर, रसगुल्ला, मलाई बर्फी या मिश्री का भोग लगाकर परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।

शाम की पूजा : संध्या समय पुनः दीप-धूप जलाकर आरती करें और मंत्रों का जाप करें।

मां शैलपुत्री का प्रिय भोग

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को शुद्ध घी से बनी खीर अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। सफेद रंग की मिठाइयों का भी विशेष महत्व है।

मंत्र जप का महत्व

मां शैलपुत्री का ध्यान और मंत्र जप करने से मन को शांति और आत्मबल मिलता है। नवरात्रि के पहले दिन इस श्लोक का जाप शुभ फलदायी माना गया है –

“या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

“जयंती मंगला काली भद्र काली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥”