हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: रेस्टोरेंट अब अनिवार्य सर्विस चार्ज नहीं लगा सकेंगे

अब ग्राहकों को रेस्टोरेंट में खाने का बिल चुकाने के बाद अनिवार्य सर्विस चार्ज का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार, 28 मार्च को एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) की 2022 में जारी की गई गाइडलाइन को बरकरार रखा है, जिसके तहत रेस्टोरेंट अब अपने फूड बिल पर अनिवार्य सर्विस चार्ज नहीं लगा सकेंगे। इस फैसले के बाद ग्राहक अब सर्विस चार्ज को लेकर अधिक सहज महसूस करेंगे, जो पहले एक विवाद का कारण बनता था।
क्या है यह नया आदेश?
दिल्ली हाईकोर्ट ने CCPA द्वारा जारी 2022 के दिशा-निर्देशों को सही ठहराते हुए यह स्पष्ट किया कि रेस्टोरेंट और होटलों में भोजन के बिल में अनिवार्य सर्विस चार्ज लगाना अब कानूनी रूप से गलत होगा। कोर्ट के इस आदेश का सीधा मतलब है कि अब ग्राहक पर कोई दबाव नहीं होगा कि वह सर्विस चार्ज को बिना सवाल किए चुकाए। इससे पहले, रेस्टोरेंट में खाने के बिल के साथ अक्सर एक निश्चित सर्विस चार्ज जोड़ दिया जाता था, जिससे कई बार ग्राहक असहज महसूस करते थे।
सर्विस चार्ज को लेकर अक्सर विवाद उठते रहे हैं, खासकर जब ग्राहक इसे अनिवार्य मानने के लिए मजबूर होते थे। कई ग्राहकों ने आरोप लगाया था कि रेस्टोरेंट और होटल्स सर्विस चार्ज को एक तरह से अनिवार्य बना देते थे, जबकि यह एक वैकल्पिक शुल्क होना चाहिए था। इसके अलावा, इस शुल्क को लेकर पारदर्शिता की कमी भी देखने को मिलती थी, जिससे उपभोक्ताओं के बीच असंतोष फैलता था।
इस फैसले से न केवल ग्राहक खुश होंगे, बल्कि यह रेस्टोरेंट्स और होटल्स को भी अपनी नीतियों में सुधार करने के लिए प्रेरित करेगा। अब रेस्टोरेंट को स्पष्ट रूप से बताना होगा कि सर्विस चार्ज वैकल्पिक है और इसे ग्राहक की इच्छा के अनुसार ही लिया जा सकता है। यह आदेश ग्राहकों को अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर फैसले लेने का अधिकार देता है, जिससे उनके अनुभव में पारदर्शिता और सुधार होगा।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, सर्विस चार्ज पूरी तरह से हटाया नहीं गया है। रेस्टोरेंट्स को अब यह सेवा शुल्क केवल तब ही ले सकते हैं जब ग्राहक इसे स्वेच्छा से स्वीकार करें। इसका मतलब यह हुआ कि यदि ग्राहक सर्विस चार्ज देना चाहते हैं, तो उन्हें पहले से ही इसकी जानकारी दी जाएगी और यह वैकल्पिक होगा।
यह आदेश उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इससे ग्राहकों को उनके अधिकारों का संरक्षण मिलता है और वे अपनी खपत को लेकर अधिक जागरूक हो सकेंगे। इसके अलावा, यह निर्णय रेस्टोरेंट उद्योग में एक सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है, जिसमें अब ग्राहकों के अनुभव को प्राथमिकता दी जाएगी।