अपडेटेड रिटर्न के लिए बढ़ी समय सीमा: टैक्सपेयर्स को अब मिलेगा ज्यादा वक्त, लेकिन है ये शर्तें!

भारतीय करदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव सामने आया है। अब से टैक्सपेयर्स को अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने के लिए पहले से ज्यादा समय मिलेगा। सरकार ने असेसमेंट ईयर के अंत से 24 महीने की सीमा को बढ़ाकर 48 महीने कर दिया है। यानी अब टैक्सपेयर्स को अपनी गलती सुधारने के लिए पूरे चार साल का समय मिलेगा। हालांकि, इस राहत के साथ कुछ कड़े नियम भी जुड़े हैं, जो टैक्सपेयर्स के लिए ध्यान देने योग्य हैं।
अब, टैक्सपेयर्स को अपनी गलतियां सुधारने के लिए 24 महीने से लेकर 48 महीने तक का समय मिलेगा, लेकिन अगर रिटर्न को 24 से 36 महीने के बीच दाखिल किया जाता है, तो उस पर 60% अतिरिक्त टैक्स लगाया जाएगा। वहीं, अगर रिटर्न 36 से 48 महीने के बीच दाखिल किया गया, तो 70% अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा। इन अतिरिक्त टैक्स दरों के चलते करदाताओं को सावधानी से काम लेना होगा।
इस बदलाव का असर सीधे तौर पर टैक्सपेयर्स पर पड़ेगा, जिन्हें अब अधिक समय मिलेगा अपनी गलतियों को सुधारने का और उन्हें पूरा मौका मिलेगा अपनी टैक्स स्थिति को ठीक करने का। इससे स्वैच्छिक अनुपालन (Voluntary Compliance) बढ़ेगा, यानी टैक्सपेयर्स खुद से नियमों और कानूनों का पालन करेंगे। सरकार का मानना है कि यह कदम टैक्सपेयर्स को बेहतर तरीके से अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद करेगा और टैक्स चोरियों को भी कम करेगा।
हालांकि, इस निर्णय के साथ जुड़े अतिरिक्त टैक्स चार्जेस भी एक सवाल खड़ा करते हैं। क्या यह टैक्सपेयर्स के लिए एक वास्तविक राहत साबित होगा या फिर बढ़े हुए टैक्स की वजह से यह प्रक्रिया उलझन में डाल देगी? यह सवाल अब वित्तीय क्षेत्र में चर्चा का विषय बन चुका है।
निश्चित रूप से, यह बदलाव टैक्स व्यवस्था को और अधिक लचीला और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम है, लेकिन इसके साथ जुड़ी शर्तें और अतिरिक्त टैक्स दरें भी निश्चित रूप से सोचने का मुद्दा बन सकती हैं।