दूसरी नौकरी के साथ करना चाहते हैं फ्रीलांसिंग तो आपके लिए है यह काम की खबर

भारत में दूसरी नौकरी (moonlighting) को लेकर कई कानूनी और कर संबंधी सवाल उठते हैं। यदि आप अपनी मुख्य नौकरी के साथ एक स्टार्टअप या एक अड-हॉक कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने का विचार कर रहे हैं, तो यह रिपोर्ट आपके लिए महत्वपूर्ण है। आइए समझते हैं कि इसके लिए आपको क्या कर प्रभाव हो सकते हैं और किस प्रकार से आप अपनी आय को संरचित कर सकते हैं, ताकि आप अपने नियोक्ता की नीतियों और कर नियमों का पालन कर सकें।
दो विकल्पों पर विचार
आपके पास स्टार्टअप से आय प्राप्त करने के दो मुख्य विकल्प हैं:
विकल्प 1: सैलरी के रूप में आय प्राप्त करना
इस विकल्प में, यदि स्टार्टअप आपको एक वेतनभोगी कर्मचारी मानता है और फॉर्म 16 प्रदान करता है, तो यह एक संरचित वेतन इतिहास प्रदान करता है, जिससे भविष्य में नौकरी बदलने में आसानी होती है। हालांकि, इस विकल्प में एक जोखिम है - आपके संस्थान के साथ बाहरी काम को लेकर कानूनी विवाद हो सकता है, भले ही आपके रोजगार अनुबंध में यह स्पष्ट रूप से निषेधित न हो। इस समस्या से बचने के लिए, स्टार्टअप से "वीकेंड-ओनली वर्क" का ऑफर लेटर प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।
विकल्प 2: कंसल्टेंट के रूप में बिलिंग (फ्रीलांसिंग मॉडल)
इस विकल्प में, आप स्टार्टअप को स्वतंत्र कंसल्टेंट के रूप में बिल भेजते हैं। इससे आपके मुख्य नियोक्ता के साथ कानूनी संघर्ष की संभावना कम होती है, क्योंकि यह एक पूर्णकालिक नौकरी नहीं है, बल्कि कंसल्टिंग का काम है। भविष्य में नौकरी बदलने पर, आपको वेतन पर्ची के बजाय इनवॉइस दिखानी होगी। यह तरीका अधिक लचीलापन प्रदान करता है, लेकिन इसमें कर दायित्व भी हो सकते हैं।
कर संरचना और प्रभाव
सैलरी आय (Option 1): यदि आपको वेतन के रूप में आय मिलती है, तो यह "सैलरी इनकम" के तहत कर योग्य होती है। इस पर लागू टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स कटौती (TDS) की जाती है, और आपको फॉर्म 16 प्राप्त होगा। आप पुराने कर व्यवस्था में HRA, LTA, NPS जैसी छूटों का लाभ उठा सकते हैं।
व्यवसाय या पेशेवर आय (Option 2): यदि आप कंसल्टेंट के रूप में काम करते हैं, तो आपकी आय "व्यवसाय या पेशेवर आय" के रूप में मानी जाएगी। इस पर आप वैध व्यापार खर्च (जैसे इंटरनेट, यात्रा, आदि) को कर योग्य आय से घटा सकते हैं। इसके लिए आपको पंजीकरण और कर भुगतान के संबंध में अपने कर कंसल्टेंट से मार्गदर्शन लेना चाहिए।
प्रेसम्पटिव टैक्सेशन: यदि आप पेशेवर के रूप में काम कर रहे हैं और आपकी आय ₹50 लाख तक है, तो आप प्रेसम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (Section 44ADA) का लाभ उठा सकते हैं, जिसमें 50% आय को मान्यता प्राप्त आय माना जाता है।
कर दायित्व और अग्रिम कर
यदि आपका कुल कर दायित्व (TDS के बाद) ₹10,000 से अधिक है, तो आपको अग्रिम कर का भुगतान करना होगा। यह भुगतान जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च में किश्तों में करना होगा। यदि आप पेशेवर हैं और प्रेसम्पटिव टैक्सेशन स्कीम का चयन करते हैं, तो आपको एक किश्त में अग्रिम कर का भुगतान करना होगा।
कानूनी और अनुबंधीय विचार
आपके प्रमुख नियोक्ता के अनुबंध में "सम्पूर्ण समय समर्पण" (devote whole time) का क्लॉज हो सकता है, जो आपको बाहरी काम करने से रोक सकता है। यदि आपके संस्थान का अनुबंध इस प्रकार का है, तो बाहरी काम करने से पहले उनसे अनुमति लेना आवश्यक होगा। दूसरी नौकरी करने से पहले अपने नियोक्ता से स्पष्ट अनुमति प्राप्त करना सर्वोत्तम होगा।
सबसे अच्छा विकल्प: सैलरी या फ्रीलांसिंग?
आपको अपनी आय को किस प्रकार संरचित करना चाहिए, यह आपके वित्तीय उद्देश्यों, कर दायित्व और आपके नियोक्ता की नीतियों पर निर्भर करेगा। यदि आप अपनी आय को संरचित करना चाहते हैं, तो पुराने कर व्यवस्था में HRA और अन्य छूटों का लाभ उठाकर सैलरी के रूप में आय प्राप्त करना फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अगर आपके पास ज्यादा लचीलापन चाहिए और आप कानूनी मुद्दों से बचना चाहते हैं, तो फ्रीलांसिंग विकल्प बेहतर हो सकता है।