Income Tax Department में AI का क्रांतिकारी कदम: Tax चोरी पर अब मिलेगी सख्त निगरानी

आयकर विभाग अब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर टैक्स चोरी के मामलों पर शिकंजा कसने की ओर बढ़ चुका है। विभाग ने हाल के वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग बढ़ा दिया है, और इसके शानदार परिणाम भी सामने आ रहे हैं। एआई की मदद से विभाग ने ऐसे संदिग्ध मामलों को पहचानने और नोटिस जारी करने में सफलता प्राप्त की है, जहां गलत तरीके से आयकर में छूट का दावा किया गया।
कैसे काम करता है एआई?
आयकर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, एआई का मुख्य उपयोग आयकर रिटर्न में किए गए गलत दावों को पकड़ने में हो रहा है। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति हर महीने 15 हजार रुपये के किराए का दावा करता है, लेकिन किराये से प्राप्त आय को अपनी वार्षिक आमदनी में नहीं दिखाता, तो एआई पैन कार्ड नंबर के आधार पर सूचना का मिलान करता है और संदिग्ध मामले की पहचान करता है। इसी तरह के हजारों मामलों में इस वर्ष नोटिस जारी किए गए हैं, जिससे कर चोरी के मामलों पर कड़ा नियंत्रण रखा जा रहा है।
किसे पकड़ सकता है एआई?
एआई न केवल किराए या ट्यूशन फीस में हेराफेरी को पहचानने में सक्षम है, बल्कि यह उन मामलों को भी ट्रैक करता है, जिनमें अप्रत्याशित रूप से बैंक खातों में बड़े लेन-देन या संपत्ति की खरीददारी हो रही हो। किसी पैन कार्ड नंबर पर एक साल में अप्रत्याशित लेनदेन, बैंक खातों में अचानक बड़ी रकम जमा होने या संपत्ति खरीदने जैसे मामलों में एआई मददगार साबित हो रहा है। साथ ही, एआई किराए के रूप में बड़े भुगतान की पहचान भी करता है, जिनमें टीडीएस काटने के बाद जमा न होने की जानकारी मिलती है।
आने वाले साल अप्रैल 2026 से नया आयकर कानून लागू होगा, जो करदाताओं के लिए अधिक सरल और पारदर्शी होगा। नए कानून में वित्तीय वर्ष और मूल्यांकन वर्ष के स्थान पर "कर वर्ष" की अवधारणा आएगी, जिससे लोगों को नियमों को समझने में अधिक सुविधा होगी। इस बदलाव के साथ सरकार एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है, जिससे टैक्स चोरी पर और भी अधिक अंकुश लगेगा।
आयकर विभाग के एआई आधारित प्रयासों से यह स्पष्ट हो रहा है कि अब टैक्स चोरी की राहें कठिन हो चुकी हैं। एआई की मदद से विभाग ने अब ज्यादा सटीक तरीके से संदिग्ध मामलों की पहचान करनी शुरू कर दी है, जिससे टैक्स चोरी के मामलों में कड़ा कदम उठाया जा सकेगा।