US Tariff Impact Indian Market: अमेरिकी टैरिफ के झटके से बिगड़ा भारतीय एक्सपोर्ट! जानें किन क्षेत्रों में झेलने पड़ रही भारी मार
US Tariff Impact Indian Market: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ से भारतीय निर्यात पर भारी असर पड़ा है। लगातार तीसरे महीने गिरावट दर्ज की गई, जिसमें रत्न, आभूषण, लेदर और टेक्सटाइल सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

US Tariff Impact Indian Market: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में बड़ा झटका उस वक्त लगा जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लागू कर दिया।अगस्त 2025 में इस टैरिफ के लागू होने के बाद, भारत से अमेरिकी निर्यात 16.3% घटकर 6.7 बिलियन डॉलर पर आ गया।यह साल की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।
इससे पहले भी लगातार दो महीने से गिरावट दर्ज की गई थी। जुलाई में निर्यात 3.6% घटकर 8.0 बिलियन डॉलर पर आया। जून में निर्यात 5.7% घटकर 8.3 बिलियन डॉलर रह गया। वहीं, मई में थोड़ी राहत दिखी थी, जब निर्यात 4.8% बढ़कर 8.8 बिलियन डॉलर पर पहुंचा।विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर का महीना और भी मुश्किल होगा, क्योंकि पूरा महीना 50% टैरिफ के प्रभाव में बीतेगा।
कैसे और कब बढ़ा टैरिफ?
7 अगस्त 2025 को अमेरिका ने 27% टैरिफ लगाया। 27 अगस्त 2025 को इसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया। यानी अगस्त में सिर्फ 4 दिन के लिए 50% टैरिफ लागू रहा, लेकिन इसका असर तुरंत निर्यात के आंकड़ों में दिखने लगा।
किन सेक्टरों पर सबसे ज्यादा असर?
- रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery): इस सेक्टर का 40-50% निर्यात अमेरिका पर निर्भर है।50% टैरिफ के कारण अमेरिकी खरीदारों ने ऑर्डर घटा दिए, जिससे उद्योग को बड़ा झटका लगा।
- चमड़ा और लेदर गुड्स: अमेरिका भारतीय लेदर गुड्स का सबसे बड़ा खरीदार है।हाई टैरिफ की वजह से ऑर्डर वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।
- टेक्सटाइल और गारमेंट्स: पहले से ही चीन और वियतनाम की प्रतिस्पर्धा झेल रहा यह सेक्टर अब और कमजोर हो गया है।अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पाद महंगे हो गए हैं, जिससे मांग घट गई है।
- इंजीनियरिंग गुड्स: मशीनरी और ऑटो कॉम्पोनेंट्स जैसे वैल्यू-ऐडेड प्रोडक्ट्स पर भी असर पड़ा।अमेरिकी टैरिफ ने इनकी लागत और ज्यादा बढ़ा दी है।
भारत के लिए क्या संकेत?
ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इनिशिएटिव्स (GTRI) के अनुसार, भारत को अब एक्सपोर्ट डाइवर्सिफिकेशन पर जोर देना होगा।अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करनी होगी।यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीकी बाजारों की ओर रुख करना होगा। साथ ही, सरकार को अमेरिकी प्रशासन के साथ टैरिफ को लेकर बातचीत करनी होगी।